[4]चंचल चंदा की चॉँदनी
दोहावली ———-
फेसबुक वाट्सएप है , प्रियतम नव वरदान l
बीबी भी ट्रंकाल पर , लेती है संज्ञान ll
———————————————————-
अनलिमिटेड बेतारिका , करती रोज धमाल l
टुनटुन ध्वनि गुंजित हुई , सावन कजरी ढाल ll
—————————————————————-
मयके जाती हूँ पिया , भेज रही सन्देश l
तुम निष्ठुर बन बस गए , परदेशी परदेश ll
————————————————————-
चंचल चंदा की चॉँदनी, चमके चतुर सुजान l
चार पहर चपला डसे , चातक स्वाति म प्रान ll
——————————————————————-
राजकिशोर मिश्र ‘राज’ प्रतापगढ़ी