3890.*पूर्णिका*
3890.*पूर्णिका*
🌷 अब तो कुछ अलग पाओगे🌷
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अब तो कुछ अलग पाओगे ।
सच में तुम अलग पाओगे ।।
ठाना है यहाँ किसने अब ।
जाने यूं अलग पाओगे ।।
सोचा और समझा हमने
आगे बढ़ अलग पाओगे ।।
महके जिंदगी भी हरदम।
बगियां भी अलग पाओगे ।।
माना साथी आज खेदू।
सुंदर जग अलग पाओगे ।।
……✍ डॉ खेदू भारती”सत्येश”
10.8.2024शनिवार