3882.*पूर्णिका*
3882.*पूर्णिका*
🌷 दुनिया अपनी हटकर🌷
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दुनिया अपनी हटकर।
मंजिल अपनी हटकर।।
आँखों में नूर यहाँ ।
नजरें अपनी हटकर।।
हँसे तो हम हँसे।
हसरत अपनी हटकर।।
खुशबू देखो कैसे।
बगियां अपनी हटकर।।
लायक खेदू किसके।
फितरत अपनी हटकर।।
………..✍ डॉ खेदू भारती”सत्येश”
8.8.2024शनिवार