3880.*पूर्णिका*
3880.*पूर्णिका*
🌷 साथ निभाते🌷
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साथ निभाते।
हाथ बढ़ाते ।।
देख मन सच्चे ।
माथ झुकाते।।
जीवन सुंदर।
गाथ सुनाते ।।
श्रम की बूंदे।
नाथ बनाते ।।
खुशियांँ खेदू।
पाथ सजाते ।।
……….✍ डॉ खेदू भारती”सत्येश”
8.8.2024शनिवार