Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Jun 2024 · 17 min read

जीवन को खुशहाल बनाओ

मुखड़ा

मंत्र बहुत सारे जीने के
खुद समझो सबको समझाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

134
महल झूठ का है ढह जाता
सच ही पक्की नींव बनाता
अपनी मेहनत ताज सजाती
चोर शर्म से शीश झुकाता
कदम नहीं अपने भटकाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

133
आसमान में खूब उड़ो तुम
पूरे अपने स्वप्न करो तुम
नाम कमाना ऊंचा कितना
पर माटी से जुड़े रहो तुम
विनम्रता का गुण अपनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

132
दुख सहना भी बहुत जरूरी
है बहना भी बहुत जरूरी
मौन बहुत अच्छा होता है
पर कहना भी बहुत जरूरी
सबसे तालमेल बैठाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

131
दसों इंद्रियां शक्ति हमारी
मगर बड़ी है ये लाचारी
सहना पड़ता इनको हर पल
इच्छाओं का बोझा भारी
इनको सही काम में लाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

130
पढ़ने की तुम आदत डालो
मन को ऐसी भी लत डालो
रोज़ डायरी में चुपके से
लिख अपनी हर हालत डालो
मन को मन की बात सुनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

129
नहीं द्वेष में क्रोध बढ़ाना
चुप रहकर पीछे हट जाना
काम बिगाड़ेगा ये सारे
इससे खुद को सदा बचाना
संयम रखकर कदम उठाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

128
मन को सच की राह दिखाना
मृगतृष्णा में मत भटकाना
सीमाओं में इसे बाँधकर
आगे आगे बढ़ते जाना
नहीं मात जीवन में खाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

127
प्रतिदिन थोड़ा सा मौन धरो
अंतर्मन से संवाद करो
मुक्त करो कुछ पल बंधन से
दिल के कुछ संताप हरो
प्रेम भाव दिल में उपजाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

126

मेहनत का रस्ता अपनाना
पर मशीन खुद मत बन जाना
वर्ना खो दोगे तुम अपना
सेहत का अनमोल ख़ज़ाना
नहीं बाद में फिर पछताओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

125

नहीं जवानी व्यर्थ गवाना
अपना तुम्हें भविष्य बनाना
ऐसा करना काम न कोई
पड़े बुढ़ापे में पछताना
ऐसा तुम संसार बसाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

124

जिसके मन में है निर्बलता
खा जाती उसको निर्धनता
कभी कभी तो भटक भटक कर
आकर धर जाती दुर्जनता
उन

बुरा समय हो चाहे जितना
नहीं छोड़ना तुम सज्जनता
बस आगे ही चलते जाओ
सही मार्ग पर चलते जाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

123
मन में रखना नहीं मलिनता
होती देखो बुरी कुटिलता
जीना भी आसान नहीं है
जीवन में हैं भरी जटिलता
फ़ूँक फ़ूँक कर कदम उठाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

122
क्रोध अग्नि मत जलने देना
कभी मलाल न पलने देना
मत विवेक को खोकर अपने
केवल मन की चलने देना
समझदार बनकर दिखलाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

121
कोशिश करना कभी न छोड़ो
धाराओं का रुख भी मोड़ो
अगर हार जाओ जीवन में
उसे जीत से फौरन जोड़ो
अपनी हिम्मत और बढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

120
धन कितना भी यहाँ कमाना
मगर नहीं ईमान डिगाना
आहों से डरकर है रहना
चोट किसी को मत पहुँचाना
सत्य मार्ग ही बस अपनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

119
गलत शब्द तो कभी न कहना
पर अन्याय नहीं तुम सहना
कितनी हों पथरीली राहें
नदिया के जैसे ही बहना
हँसकर नैया पार लगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

118
बेटों से होता घर उपवन
बेटी से चहके घर आंगन
कोई छोटा बड़ा नहीं है
दोनों ही महकाते जीवन
संस्कारों से उन्हें सजाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

117
डरकर जीना कैसा जीना
जियो उठाकर अपना सीना
जीवन ये अनमोल मिला है
बनो एक अनमोल नगीना
खुद को कुछ ऐसे चमकाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

116
दुख से है कैसा घबराना
इसका रहता आना जाना
दुख जाता है जब जीवन से
तब होता है सुख का आना
गीत हमेशा सुख के गाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

115
जीवन चार दिनों का मेला
आना जाना सदा अकेला
जब जाता पतझड़ का मौसम
आ जाती खुशियों की बेला
साथ समय के ताल मिलाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
114

कहीं अँधेरे काले काले
खिले हुए हैं कहीं उजाले
कांटे रहते फूलों के संग
जीवन के हैं रंग निराले
खुद समझो सबको समझाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

113
जब अपने दम पर बढ़ते हैं
द्वार तरक्की के खुलते हैं
मिला यहां जो उससे खुश हो
प्राप्त सफलता को करते हैं
अपना पूरा जोर लगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

114
बात किसी की दिल पर मत लो
बिन मांगे तुम राय नहीं दो
अपने हाथ नही कुछ भी है
कल की चिंताओं को छोड़ो
हर पल का आनंद उठाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

112

गलतफहमियों की लग काई
बन जातीं रिश्तों में खाई
जीवन में खुशियाँ भर देते
सिर्फ़ प्यार के अक्षर ढाई
रिश्तों में विश्वास जगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

111
सपनों को यदि सच करना है
तो हर मुश्किल से लड़ना है
अपनी नज़र लक्ष्य पर रखकर
कदम साधकर बस चलना है
अपना ध्यान नहीं भटकाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

110
लगता खत्म हुआ अब मेला
जब आती है संध्या बेला
मगर दूसरी है ये पारी
समझो खुद को नहीं अकेला
इसको खुद के लिए बचाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

109

देखो सुंदरता बस मन की
देखभाल करलो इस तन की
बेशकीमती है इक इक पल
उम्र बहुत छोटी जीवन की
सद्कर्मों से इसे सजाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
108

धैर्य नहीं खोना मुश्किल में
बोझिल मत होना मुश्किल में
करो सामना हँसते हँसते
नहीं बैठ रोना मुश्किल में
ज़रा हौसला और बढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

107
सबसे बड़ा क्षमा धन यारो
मिल जाता मन से मन यारो
नफरत के जहरीलेपन से
मुरझा जाता उपवन यारो
सिर्फ़ प्यार के फूल उगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

106
धन के पीछे भाग रहे हो
लगा सुखों में आग रहे हो
समय त्याग देगा तुमको ही
जिसे अभी तुम त्याग रहे हो
अब तो चेत समय से जाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

105
अपने दम पर आगे बढ़ना
नहीं किसी से तुलना करना
होते सारे नहीं बराबर
ध्यान हमेशा इतना रखना
अपनी जय की खुशी मनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

104

संस्कार क्यों छोड़ रहे हो
अपने रुख को मोड़ रहे हो
भूल सभ्यता से मुख अपना
बेशर्मी को ओढ़ रहे हो
वक्त सुनहरा नही गवाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

103
घुटते रहना ठीक नहीं है
गम में बहना ठीक नहीं है
किसी खास से ही गम बांटो
सबसे कहना ठीक नहीं है
गोपनीयता सदा बचाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

102
सदा लोभ से बचकर रहना
अहंकार से हटकर रहना
जितना ऊपर उठते जाओ
उतना ज्यादा झुककर रहना
रोज स्वयं को पाठ पढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

101
नहीं नुमाइश ग़म की करना
भले दिखावे को ही हँसना
मुंह से निकली बात पराई
याद हमेशा इसको रखना
अपनी हिम्मत और बढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

100
जब अंधेरे छा जाते हैं
तभी उजाले भी आते हैं
नित आकर दिन रात हमें भी
बात यही तो समझाते हैं
दोनों को हँसकर अपनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

99
सदा प्रशंसा सच्ची करना
मगर झूठ से दूरी रखना
स्वयं मुँह मिया मिठ्ठू बनकर
तुम उपहास पात्र मत बनना
सद्भावों से नाम कमाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

98
जीवन रंगमंच है अपना
जिसमें अभिनय सबको करना
अलग अलग किरदार हमारे
संवादों को खुद है लिखना
अपना अपना हुनर दिखाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

97
पैर पसारो जितनी चादर
आमदनी के करो बराबर
नहीं उधारी पर है जीना
खर्च करो सब सोच समझकर
मुश्किल अपनी नहीं बढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

96
बीमारी का पड़कर साया
रहती नहीं निरोगी काया
साथ छोड़ देते हैं अपने
उड़ जाती है सारी माया
दिनचर्या में सुधार लाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
95
थककर कहीं बैठ मत जाना
आलस को भी मत अपनाना
सदा निरंतरता रखनी है
खुद को ऊंचा अगर उठाना
संयम से बस चलते जाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

94
सदा ईश्वर से है डरना
बस विश्वास बनाए रखना
जैसी करनी वैसी भरनी
यही सोचकर हमको चलना
आध्यात्मिकता अपनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

93
मिली ज़िंदगी हमको प्यारी
हमें निभानी जिम्मेदारी
छूट नहीं कुछ हमसे जाए
करके चलनी है तैयारी
कर्तव्यों को सदा निभाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

92
सुख को हमें त्यागना होगा
कांटों में भी चलना होगा
अगर सफलता पानी हमको
स्वाद हार का चखना होगा
नहीं जोखिमों से घबराओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

91
धन के पीछे ही मत भागो
नहीं मनोरंजन को त्यागो
सैर करो थोड़ी दुनिया की
जागो जागो मानव जागो
साथ प्रकृति का भी कुछ पाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
90

अक्सर अपने ही ठगते हैं
वार पीठ पर वे करते हैं
समझ नहीं पाते हम उनको
हमें वही अच्छे लगते हैं
पढ़ना आंखों को सिखलाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

89
थककर कुछ विश्राम करो तुम
जीना नहीं हराम करो तुम
ऊर्जावान बनो फिर इतना
हंसकर पूरा काम करो तुम
अपनी हर मंजिल को पाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

88
नहीं दबाओ दुख को अंदर
बोझ बढ़ाओ मत यूं दिल पर
दवा चैन की थोड़ी कर दो
आंसू में तुम इन्हें बहाकर
अपना दुख यूं जरा घटाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

87
बिना सहारे चल सकते तुम
बना सुनहरा कल सकते तुम
नहीं बदल सकते सबको हो
खुद को मगर बदल सकते तुम
बस अपने मन को समझाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

86
कभी शह कभी मात मिलेगी
सुख दुख की बरसात मिलेगी
वक्त बदलता सदा रहेगा
साथ भोर के रात मिलेगी
हर पल का आनंद मनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

85
ठोकर खाकर खुद उठ जाना
भरम जाल से बाहर आना
लेना समझ शख़्स को पहले
फिर उस पर विश्वास जमाना
बार बार मत धोखे खाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

84
माया बांधेगी बंधन में
लालच भी भर देगी मन में
जो भागेगा इसके पीछे
चैन न पाएगा जीवन में
मत इसके चंगुल में आओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

83
तन की सुंदरता कुछ दिन की
दौलत वैभवता कुछ दिन की
कभी नहीं मद इन पर करना
सासों की सत्ता कुछ दिन की
आत्ममुग्धता दूर भगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

82
जीवन संघर्षों का मेला
रहता हर दिन नया झमेला
कुछ ना कुछ तो सबने झेला
याद हमेशा इतना रख ले
केवल तू ही नहीं अकेला
दुख से कभी नहीं घबराओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

81
नेकी कर दरिया में डालो
ज्यादा मत उम्मीदें पालो
रोते हो यदि अपने दुख को
सुख की भी तो खुशी मनालो
बस अपने मन को समझाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

80

अपने दम पर आगे बढ़ना
बैसाखी पर कभी न चलना
अपने हाथों को ही देखो
तुम अपना भगवान समझना
खुद पर ही विश्वास बढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

79
पल में समय बदल जाता है
नहीं लौट कर फिर आता है
नहीं समझता कीमत जो भी
वही हाथ मल पछताता है
कोई भी पल नही गवाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

78

भूलों का पश्चाताप करो
विश्लेषण अपनेआप करो
सीखों उनसे आगे बढ़ना
मत दिल पर उनकी छाप करो
नहीं भूल अपनी दोहराओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

77

देखो नश्वर है ये जीवन
कदम कदम पर है उलझन
सुलझाना भी उन्हें तुम्हें है
एकाग्रचित करके अपना मन
समझ-बूझ कर सब सुलझाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

76

जीवन अपना एक समर है
हर पल रखनी हमें नज़र है
होती भी है बहुत जरूरी
करनी थोड़ी अगर मगर है
चूक नहीं तुम इसमें जाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

75

जरा धूल सड़को की फांकों
जो है पास, उसे ही आँको
खुद को उन्नत करो यहां बस
नहीं दूसरे घर में झांको
असंतोष को दूर भगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

74
माना जो हम स्वप्न सजाते
अक्सर आंखों में मर जाते
मगर बैठकर ओढ़ उदासी
क्यों बस उनका शोक मनाते
सपने मन में और सजाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

73
देख दूसरों को मत जलना
कभी किसी को भी मत छलना
मंजिल को पाने की खातिर
कभी गलत पथ पर मत चलना
अपने मन पर काबू पाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

72
भूलो उसको जो बीत गया
क्या भरा रहा क्या रीत गया
ये जीवन है ऐसा यारो
जो समझ गया वो जीत गया
रुको नहीं बस चलते जाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

71

नहीं एक से रहते मौसम
वक्त बदलता रहता हरदम
बड़ा सत्य है ये जीवन का
सुख आते ,जब आते हैं गम
बुरे वक्त में मत घबराओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
70

दिल के राज नहीं तुम खोलो
तोल मोल के बातें बोलो
सदा निभाना दिल से रिश्ते
दौलत से मत उनको तोलो
ये अपना आदर्श बनाओ
जीवन को खुशहाल बना

69
लगे बुढ़ापा सबको भारी
खत्म हो चुकीं जिम्मेदारी
मन का साथ नहीं तन देता
बढ़ती जाती हैं लाचारी
चिंतन में अब ध्यान लगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

68

जीने को है प्यार जरूरी
होनी भी तकरार जरूरी
प्यार बढ़ाती हैं तकरारें
मगर मनाना यार जरूरी
खुद भी रूठो और मनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

67

पंख हौसलों के बस रखना
बार बार गिरकर भी उठना
किस्मत का ही खेल समझकर
स्वाद हार का हंसकर चखना
सकारात्मकता अपनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

66

बेटी है ममता का आंगन
बेटा कर्तव्यों का उपवन
बेटा बेटी दोनों से ही
पूरा होता है ये जीवन
दोनों को संस्कार सिखाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

65

बदल निरंतर रहा ज़माना
हर बदलाव हमें अपनाना
रखकर अपनी सोच पुरानी
संघर्षों को नहीं बढ़ाना
नई सोच से सोच मिलाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

64
मिली हमें ये काया नश्वर
मत अभिमान करो तुम इस पर
माया भी है आनी जानी
रहो लोभ से इसके बचकर
कर्म भले कर नाम कमाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

63

हमें खून के रिश्ते मिलते
जितना सींचो उतना खिलते
दोस्त मगर मिलते किस्मत से
दिल से ज़ख्म हमारे सिलते
दोस्त बनाकर खुशियां पाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

62
पड़े निभानी दुनियादारी
पूरी करनी जिम्मेदारी
मत सोचो क्या लोग कहेंगे
खुद से अपने रक्खो यारी
बातें दिल से नहीं लगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

61
देता कोई नहीं सहारे
मात पिता को सिवा हमारे
ये तो उनकी है लाचारी
आज उम्र से हैं वो हारे
उनके दिल को नहीं दुखाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

60

सास नहीं माँ बन सकती है
इनकी पल में ठन सकती है
दोनों हक पर लड़ती रहतीं
कैसे इनमें छन सकती है
द्वेष नहीं बेबात बढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

59

जहां बड़ों का होता आदर
मंदिर बन जाता है वो घर
देते है। आशीष हमें वो
हाथ उठाकर झोली भर भर
चरणों की रज भाल लगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

58

बेटी बेटा में कब अंतर
दोनों ही हैं एक बराबर
अवसर इनको देकर देखो
दिखलाएंगी नभ को छूकर
इन्हें उच्च शिक्षा दिलवाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

57
जगते रहते सोते सोते
पाते भी हैं खोते खोते
अगर नहीं मेहनत हैं करते
कटता जीवन रोते रोते
कर कर के अच्छा दिखलाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

56

छोटी छोटी खुशियां जी लो
हंसते हंसते गम भी पी लो
अपने कर्तव्यों से हटकर
खबर जरा सी मन की भी लो
अवसादों को दूर भगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

55
बच्चों के संग वक्त बिताना
अपने बचपन में है जाना
नहीं कीमती वक्त गवाओ
नही लौटकर है ये आना
खुद भी इक बच्चा बन जाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

54
मत सोचो पहचान नहीं है
जग में कोई मान नहीं है
प्रतिभाएं अंदर है इतनी
जिसका कोई भान नहीं है
जो अंदर है बाहर लाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

53
जीवन अविरल एक सफर है
कल की कोई नहीं खबर है
पता नहीं है मंजिल का भी
चलना लेकिन डगर डगर है
बस चलते ही चलते जाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

52
बीमारी से योग बचाता
तन मन दोनों स्वस्थ बनाता
शक्तिशाली हमें बनाकर
ये हिम्मत को और बढ़ाता
योग जिंदगी भर अपनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

51

विज्ञापन का युग है प्यारे
खुले हुए सब राज हमारे
व्यक्तिगत बिल्कुल थे जो पल
आज देखते जग में सारे
इन सब पर प्रतिबंध लगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

50

पानी को मत व्यर्थ बहाओ
एक एक भी बूंद बचाओ
नहीं बहाएंगे हम पानी
कसम सभी ये मिलकर खाओ
जल संरक्षण विधि अपनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
49
वृद्धाश्रम का दौर चला है
देख इसे दिल बहुत जला है
पाला पोसा हमें जिन्होंने
उनका ही अब साथ खला है
अपना हश्र सोच घबराओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

48

हिंदी लगती सबसे प्यारी
कहती दिल की बात हमारी
मगर मातृभाषा होकर भी
ये हम सबकी नहीं दुलारी
इसे राष्टभाषा बनवाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
47
लोकतंत्र ये देश हमारा
इसे जानता है जग सारा
राजनीति धर्मो की करके
क्यों करते हैं हम बटवारा
गीत एकता का बस गाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

46
भ्रष्टाचार मिटाना होगा
राम राज्य फिर लाना होगा
यहां गलत जो काम करेगा
दंड उसे दिलवाना होगा
बीड़ा इसका सभी उठाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

45
जब ये सोच बदल जाएगी
नई चेतना ले आयेगी
समता के जब भाव जगेंगे
तभी गरीबी मिट पाएगी
जन जन में अब जोश जगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

44
हम सबको त्योहार हमारे
कभी लगा करते थे प्यारे
मगर आधुनिकता की आंधी
उड़ा ले गई सपने सारे
उनकी महिमा नहीं मिटाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

43
पंछी देते नहीं दिखाई
उनके घर पर विपदा आई
पेड़ कटे उनके घर टूटे
कैसे होगी ये भरपाई
तरस जरा सा इनपर खाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

42
सारे जग में सबसे प्यारा
देखो हिंदुस्तान हमारा
जिए देश की खातिर यूं हम
बहे प्रेम की ही बस धारा
नफरत दिल से दूर भगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

41

छिन्न भिन्न ओजोन परत है
धरती की बिगड़ी हालत है
बहुत विषैली किरणों से अब
सारी दुनिया ही आहत है
एसी ज्यादा नहीं चलाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

40
मानव की है ये मनमानी
कुदरत से भिड़ने की ठानी
रौंद पहाड़ों को भी डाला
रही नहीं अब धरती धानी
नहीं धरा का कोप बढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

39

प्रेम की सजा ये है भारी
कटती है टुकड़ों में नारी
स्वछंदता की है ये कीमत
फैल रही है ये बीमारी
जल्दी इस पर रोक लगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

38

अब एकल परिवार हो गए
रिश्ते नाते कहीं खो गए
आगे बढ़ने के सपने अब
यहां स्वार्थ के बीज बो गए
सही राह पर इनको लाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

37

नारी मत सीमाएं तोड़ो
संस्कारों से नाता जोड़ो
आसमान को छू लो लेकिन
मर्यादा से मुंह मत मोड़ो
अपनी छवि को नहीं गिराओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

36
कुछ ऐसा करके दिखलाना
जग में ऊंचा नाम कमाना
चार दिनों के लिए मिला है
कोई दिन भी नहीं गवाना
कभी न मेहनत से कतराओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

35

भौतिक सुख इतने प्यारे है
पेड़ काट डाले सारे हैं
पर्यावरण बिगाड़ा अपना
तभी कोप के अब मारे है
पेड़ लगाओ धरा बचाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

34

आज उठाया करती नारी
घर बाहर की जिम्मेदारी
मिलती उसे जमाने भर से
बस तानों की ही बमबारी
थोड़ा उसका हाथ बटाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

33

बेटा बेटी एक बराबर
लाते दोनों खूब कमाकर
मगर ज़माना ये कब बदला
बेटी को रक्खे उलझाकर
बोझ डालकर नहीं दबाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
32

डूबे रहते कंप्यूटर में
ऑफिस होते हैं अब घर में
मेल मिलाप नहीं अब होता
रहें काम के ही चक्कर में
थोड़े से संपर्क बढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

31

आपस के मतभेद मिटाओ
मत उनको मनभेद बनाओ
अपने बच्चों को घर पर ही
मानवता का पाठ पढ़ाओ
खुद बनकर आदर्श दिखाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

30

सृजन करे इस जग का नारी
सब रिश्तों पर ही है भारी
इसका मान बढ़ाने की अब
पुरुषों की है जिम्मेदारी
अपना घर ही स्वर्ग बनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

29

अपने मन को मत तड़पाना
गाकर मजबूरी का गाना
करो नज़रंदाज़ इसे मत
दो खुशियों का इसे खज़ाना
मत इतने प्रतिबंध लगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

28
चाहे रिश्तों में उलझन हो
आपस में कितनी अनबन हो
दीवारें मत खिंचने देना
कोशिश करना अपनापन हो
सब अपना परिवार बचाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

27
जीवन सुख दुख का हिसाब है
जैसे काँटों सँग गुलाब है
चुभन मिले चाहे कितनी भी
खुशबू इसकी लाज़वाब है
हंसते हंसते इसे बिताओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

26
बाधाओं से क्या घबराना
अपनी मंजिल को है पाना
लगें ठोकरें चाहे कितनी
बस आगे ही बढ़ते जाना
हर मुश्किल से आंख मिलाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

25
जीना नहीं सरल है यारो
पीना यहां गरल है यारों
राहों पर इतने कांटे हैं
रहते सभी विकल हैं यारो
लेकिन हिम्मत और बढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

24

मय को दवा गमों की कहते
खूब नशे में डूबे रहते
अपनी नाकामी से डरकर
उससे और बड़ा गम सहते
इससे अपना हाथ छुड़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

23

माना रखती हैं उलझन में
महत्वकांक्षाएं जीवन में
मगर सफलता भी है मिलती
इच्छाएं जब रहती मन में
विवेक से तुम कदम बढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

22

होनी अनहोनी से क्या डरना
सबको ही है इक दिन मरना
कर्मों से ही हमको अपना
पूरा लेखा जोखा भरना
आध्यात्मिक कुछ हो जाओ
ये जीवन खुशहाल बनाओ

21

कभी वचन मत बुरे कहो
ईर्ष्या से भी तो बचे रहो
हार मिले या जीत यहां
सदा वक्त के ही साथ बहो
संस्कारों से हाथ मिलाओ
ये जीवन खुशहाल बनाओ

*
1
एक एक पल जी लो जी भर
नहीं आएगा समय लौटकर
बिछे मिलेंगे अगर फूल तो
चलना भी होगा कांटों पर
अपने मन को बस समझाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

2
क्यों रोते हो दुख को केवल
इसे बनाओ अपना संबल
हिम्मत से तो मिल जाता है
हमें किसी भी मुश्किल का हल
सकारात्मकता अपनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
3
मिलता है दुख, दुख गाने से
घट जाता दुख समझाने से
याद हमेशा इतना रखना
सुख आता है दुख पाने से
दुख के मत तुम भाव बढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
4
आती हैं सुख की भी घड़ियाँ*
हँसी खुशी की बन फुलझड़ियाँ
खुशबू से मन भर जाता है
यादों की जब खिलती कलियाँ
मन के उपवन को महकाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
5
मृगतृष्णा को तुम मत पालो
मन में धन संतोष कमा लो
चार दिनों का जीवन है ये
इस जीवन को सफल बना लो
हर पल का आनन्द उठाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
6
क्या माटी क्या होता सोना
पड़ता यहाँ बहुत कुछ खोना
कर्म करो, फल की मत सोचो
नहीं मिला उसको क्या रोना
आगे अपने कदम बढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

7
चुनो महल सपनों का सुंदर
अपने मन के रंगों को भर
ऊंची ऊंची भरो उड़ानें
अपनों का तुम हाथ पकड़कर
नाम जगत में तुम कर जाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
8
बना बना कर सुंदर क्यारी
सजती जीवन की फुलवारी
नेह नीर से इन्हें सींचकर
महका दो तुम बगिया सारी
रिश्तों के यूं फूल खिलाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
9
सुख में तो सब साथी होते
दुख में मगर अकेले रोते
पछताते रहते वो जग में
समय बिताते जो बस सोते
नहीं समय को व्यर्थ गवाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
10
जीवन के सँग सँग हम बहते
इम्तिहान बस देते रहते
थक जाएं चाहे हम कितना
नहीं ज़िंदगी से कुछ कहते
सब कहते बस चलते जाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

11
कर्मों के मिलते हमको फ़ल
नहीं जानते क्या होगा कल
काम दूसरों के बस आना
कभी किसी से मत करना छल
कभी किसी को नहीं सताओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
12

हँसते हँसते सब दुख काटो
दर्द दूसरों का भी बाटो
अगर दरार पड़े रिश्तों में
सबसे पहले उसको पाटो
खुशियों से संसार सजाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

13
पैसों में ही कभी तोलकर
करो नहीं लोगों में अंतर
कोई बड़ा न कोई छोटा
सारे ही हैं एक बराबर
ऊंच नीच का भेद मिटाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

14
फूल प्यार के हमें उगाने
नफरत के हैं शूल मिटाने
अपनेपन की खुशबू से ही
अपने रिश्ते हैं महकाने
दिल से दिल को ख़ूब मिलाओ
ये जीवन खुशहाल बनाओ

15

सबसे पहले मद को छोड़ो
स्वार्थ भरी दीवारें तोड़ो
बड़े भले कितने बन जाओ
अपनों से तुम मुंह मत मोड़ों
दिल भी अपना बड़ा बनाओ
ये जीवन खुशहाल बनाओ

16

मिलती जब हमको नाकामी
लगे दूसरों में ही खामी
उससे ही गुस्सा हो जाते
जिसने भी उंगली है थामी
नहीं जुल्म अपनों पर ढाओ
ये जीवन खुशहाल बनाओ

17

सुख दुख दोनों ही हैं आते
मगर बहक हम फिर भी जाते
खो देते हैं आपा अपना
मन को पकड़ नहीं हम पाते
इस मन पर अधिकार जमाओ
ये जीवन खुशहाल बनाओ

18

केवल सच की ही बात कहो
मत जुल्मों को भी कभी सहो
मानवता का गहना पहनो
सब भेदभाव से दूर रहो
खुद से थोड़ा प्यार बढ़ाओ
ये जीवन खुशहाल बनाओ

19

दौलत के मत पीछे भागो
रिश्तों पर गोली मत दागो
यहां अकेले रह जाओगे
जागो जागो मानव जागो
प्रेम सुमन से धरा सजाओ
ये जीवन खुशहाल बनाओ

20

समझो सबसे प्रथम धर्म को
जानो इसके सही मर्म को
तेर मेर की छोड़ो बातें
जोड़ो इससे सिर्फ कर्म को
विश्व एक परिवार बनाओ
ये जीवन खुशहाल बनाओ

20-10-2021
डॉ अर्चना गुप्ता

68

जीने को है प्यार जरूरी
होनी भी तकरार जरूरी
प्यार बढ़ाती हैं तकरारें
मगर मनाना यार जरूरी
खुद भी रूठो और मनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

67

पंख हौसलों के बस रखना
बार बार गिरकर भी उठना
किस्मत का ही खेल समझकर
स्वाद हार का हंसकर चखना
सकारात्मकता अपनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

66

बेटी है ममता का आंगन
बेटा कर्तव्यों का उपवन
बेटा बेटी दोनों से ही
पूरा होता है ये जीवन
दोनों को संस्कार सिखाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

65

बदल निरंतर रहा ज़माना
हर बदलाव हमें अपनाना
रखकर अपनी सोच पुरानी
संघर्षों को नहीं बढ़ाना
नई सोच से सोच मिलाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

64
मिली हमें ये काया नश्वर
मत अभिमान करो तुम इस पर
माया भी है आनी जानी
रहो लोभ से इसके बचकर
कर्म भले कर नाम कमाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

63

हमें खून के रिश्ते मिलते
जितना सींचो उतना खिलते
दोस्त मगर मिलते किस्मत से
दिल से ज़ख्म हमारे सिलते
दोस्त बनाकर खुशियां पाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

62
पड़े निभानी दुनियादारी
पूरी करनी जिम्मेदारी
मत सोचो क्या लोग कहेंगे
खुद से अपने रक्खो यारी
बातें दिल से नहीं लगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

61
देता कोई नहीं सहारे
मात पिता को सिवा हमारे

3 Likes · 530 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all
You may also like:
वो मुझे पास लाना नही चाहता
वो मुझे पास लाना नही चाहता
कृष्णकांत गुर्जर
*दीवाली मनाएंगे*
*दीवाली मनाएंगे*
Seema gupta,Alwar
उलझनें रूकती नहीं,
उलझनें रूकती नहीं,
Sunil Maheshwari
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कामवासना मन की चाहत है,आत्मा तो केवल जन्म मरण के बंधनों से म
कामवासना मन की चाहत है,आत्मा तो केवल जन्म मरण के बंधनों से म
Rj Anand Prajapati
पश्चातापों की वेदी पर
पश्चातापों की वेदी पर
Suryakant Dwivedi
मंजिल न मिले
मंजिल न मिले
Meera Thakur
दोहा त्रयी . . . .
दोहा त्रयी . . . .
sushil sarna
जिसे सपने में देखा था
जिसे सपने में देखा था
Sunny kumar kabira
क्या आजाद हैं हम ?
क्या आजाद हैं हम ?
Harminder Kaur
हाय वो बचपन कहाँ खो गया
हाय वो बचपन कहाँ खो गया
VINOD CHAUHAN
अब रिश्तों का व्यापार यहां बखूबी चलता है
अब रिश्तों का व्यापार यहां बखूबी चलता है
Pramila sultan
शेरनी का डर
शेरनी का डर
Kumud Srivastava
*किताब*
*किताब*
Dushyant Kumar
23/183.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/183.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आत्मनिर्भर नारी
आत्मनिर्भर नारी
Anamika Tiwari 'annpurna '
हिन्दीग़ज़ल में कितनी ग़ज़ल? -रमेशराज
हिन्दीग़ज़ल में कितनी ग़ज़ल? -रमेशराज
कवि रमेशराज
#हौंसले
#हौंसले
पूर्वार्थ
यक्ष प्रश्न
यक्ष प्रश्न
Mamta Singh Devaa
मै मानव  कहलाता,
मै मानव कहलाता,
कार्तिक नितिन शर्मा
*बातें कुछ लच्छेदार करो, खुश रहो मुस्कुराना सीखो (राधेश्यामी
*बातें कुछ लच्छेदार करो, खुश रहो मुस्कुराना सीखो (राधेश्यामी
Ravi Prakash
कूच-ए-इश्क़ में मुहब्बत की कलियां बिखराते रहना,
कूच-ए-इश्क़ में मुहब्बत की कलियां बिखराते रहना,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"मजदूर"
Dr. Kishan tandon kranti
इश्क
इश्क
SUNIL kumar
मोहब्बत
मोहब्बत
अखिलेश 'अखिल'
शांत सा जीवन
शांत सा जीवन
Dr fauzia Naseem shad
होलिका दहन कथा
होलिका दहन कथा
विजय कुमार अग्रवाल
कविता- घर घर आएंगे राम
कविता- घर घर आएंगे राम
Anand Sharma
घुंटन जीवन का🙏
घुंटन जीवन का🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
..
..
*प्रणय प्रभात*
Loading...