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8 Jun 2024 · 25 min read

जीवन को खुशहाल बनाओ

मुखड़ा

मंत्र बहुत सारे जीने के
धागे ज़ख्मों को सीने के
चषक सुखों के हैं पीने के
सारे हुनर सीखते जाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

215
बहती रहे समय की धारा
कब आ जाए वक्त हमारा
जीवन को जी भर कर जी लो
नहीं मिलेगा ये दोबारा
हँसते गाते इसे बिताओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
214

बहुत कीमती होता हर पल
मिलता हमको कर्मों का फल
काम आज का करो आज ही
कभी नहीं आता देखो कल
नहीं मात जीवन में खाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

213

नेकी कर दरिया में डालो
हँसते-हँसते ग़म भी खा लो
अपनों से रख सुंदर नाता
खुशियों के कुछ फूल खिला लो
अपनी बगिया को महकाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

212

स्वा के प्रति सहज रहो सब
मन की बात सुनो कहो सब
आनंदित हो जाये हर दिन
भावों में इस तरह बहो सब
धन चाहे कुछ अल्प कमाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

211
दुख में धैर्य बनाकर रखना
सुख में पाँव जमाकर रखना
मन की शांति बड़ा धन सबसे
इसको सदा बचाकर रखना
मन पर अपने काबू लाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

210

मुश्किल है विद्यार्थी जीवन
रहता है हरदम चंचल मन
मगर आज की मेहनत से ही
बच्चों देखो कल है रोशन
कदम लक्ष्य की ओर बढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

209
बच्चों की है ये दुश्वारी
बोझ पढ़ाई का है भारी
उन्हें मार्गदर्शन देने की
मातापिता की जिम्मेदारी
उनके मन का दाब हटाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

208

कभी किसी का हक मत मारो
नहीं हार कर मन से हारो
काम करो कोई भी जग में
भला बुरा पर सदा विचारो
निर्मल मन से वक्त बिताओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

207

संघर्षों का नाम ज़िंदगी
करते रहना काम ज़िंदगी
लेती रहती इम्तिहान बस
कब देती आराम ज़िंदगी
कभी न मेहनत से कतराओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

206
खुशी चार दिन रह पाएगी
दुख की घड़ी बीत जाएगी
कदम -कदम पर इस जीवन में
यही सोच हिम्मत लाएगी
आवेगों में स्थिरता लाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

205

चंदन वन उपवन महकाता
विषधर भी तन से लिपटाता
तरुवर शांत क्षुधा करता है
सबकी खातिर छाँव बिछाता
अपनी सज्जनता दिखलाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

204
चिंताएं हमें जगाती हैं
रातों की नींद उड़ाती हैं
समाधान देने के बदले
ये बीमारी दे जाती हैं
हर मुश्किल से आँख मिलाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

203

जब भी बुरा वक्त आता है
हमें सँभलना सिखलाता है
अपने और परायों का भी
भान हमें ये करवाता है
अपने मन को ये समझाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

202

जीवन के हैं खेल निराले
माटी में मिल जाने वाले
जीत हार का चक्कर भी तो
असमंजस में सबको डाले
अपने भय को दूर भगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

201

सब खो दोगे यदि भागोगे
भाग भाग कर थक जाओगे
ठहर अगर जाओगे थोड़ा
मंजिल भी अपनी पाओगे
सिर्फ लक्ष्य पर ध्यान लगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

200
बिन समझे विश्वास न करना
सबसे पहले उन्हें परखना
मुँह के जो ज्यादा मीठे हों
सावधान रह उनसे बचना
अपनों से मत धोखा खाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

199

नकल सदा करने से डरना
दंड पड़ेगा वरना भरना
मान शांति सब खो दोगे
काम अक्ल से अपनी करना
मत चोरी कर नाम कमाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

198

कुछ बातों को कर अनदेखा
खिंचने मत दो घर में रेखा
बन जाता घर मंदिर जिसमें
त्याग समर्पण का हो लेखा
आपस में सौहार्द्र बढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

197

यह धन किसका प्यार नहीं है
सपनों का संसार नहीं है
मगर जान लो केवल इतना
सुख का ही आधार नहीं है
रिश्तों को भी साथ कमाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

196
जीवन के रँग कितने सारे
कुछ धूमिल कुछ लगते प्यारे
मगर लगाने पड़ते हैं सब
कब कुछ भी है हाथ हमारे
समझ इशारा विधि का जाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

195

खुद का मूल्यांकन खुद करना
औरों में मत अटके रहना
तन -मन दोनों नहीं थकेंगे
बढ़ा मनोबल अपना रखना
अनुभव का भी लाभ उठाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

194

बदले की आग जलाती है
नष्ट बहुत कुछ कर जाती है
क्षमादान करते रहने से
बस खुशहाली ही आती है
सहनशीलता को अपनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

193

वर्तमान स्वीकार करो तुम
बस खुद को तैयार करो तुम
धार वक्त की हो कैसी भी
हिम्मत से वो पार करो तुम
किस्मत पर मत प्रश्न उठाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

192

मन को मत शंकित होने दो
विजय भाव अंकित होने दो
लक्ष्य साधना है जब तुमको
ऊर्जा को संचित होने दो
मेहनत पर ही ध्यान लगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

191

जीवन में बाधाएँ होंगी
पग -पग पर चिंताएँ होंगी
पर विश्वास बनाए रखना
पूरी भी इच्छाएँ होंगी
अपनी इच्छाशक्ति बढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
190

निश्चित है जीवन का हर पल
बीता या आने वाला कल
ऊपर वाला देख रहा है
फिर भी करते रहते अल-छल
लालच मन से दूर भगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
189

कठिन किशोरावस्था होती
सपनों में रहती है खोती
बहक कदम इसमें यदि जाते
दुविधाएँ जीवन में बोती
पढ़ने से मत ध्यान हटाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

188

खोना अपना नहीं बड़प्पन
पर जिंदा भी रखना बचपन
उम्र कराती हमें रिटायर
मगर न बूढ़ा होता है मन
कभीवन अपनी सोच बुढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

187

जो जितने षड्यंत्र करेगा
उतना दलदल में उतरेगा
सच की राह चुनेगा जो भी
नहीं किसी से कभी डरेगा
केवल सच से हाथ मिलाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

186

चाटुकार सबको भाते हैं
गुण जो वो सबके गाते हैं
मगर देखकर रुख मौसम का
चाल ही बदल ये जाते हैं
मुँह मत इनको कभी लगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

185

जैसा हम व्यवहार करेंगे
बच्चे वैसा ही सीखेंगे
सोच बनेगी उनकी वैसी
संस्कार जो उन्हें मिलेंगे
अपनी संस्कृति से मिलवाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

184

बच्चे जब काबिल हो जाते
कर्तव्यों को नहीं निभाते
करते हैं अपमान उन्हीं का
जो उनको दुनिया में लाते
डूब स्वार्थ में यूँ मत जाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

183
काम टालते रहते कल पर
तभी सताता रहता है डर
रहती है हरदम बेचैनी
जीते अवसादों में भर कर
कल का काम आज निबटाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

182

सलाह जो सबको देते दिखते
मगर नहीं खुद कुछ भी करते
बातें करते बड़ी -बड़ी वो
पात्र हँसी का ही बस बनते
बड़बोलापन मत दिखलाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

181

वृद्धाश्रम जब रहने आते
बच्चों को ये गलत बताते
किया इन्होंने भी ऐसा था
बात भूल अपनी ये जाते
बच्चों को मत गलत सिखाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

180

पति पत्नी का सुंदर नाता
साथ एक दूजे का भाता
औरों की दखलंदाजी से
दरक कभी गहरा सा जाता
नहीं बीच में उनके आओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

179

टोकाटोकी करते हरदम
नुक्ताचीनी नहीं करें कम
उपदेशों की बारिश करके
करें नाक में वो सबके दम
ये आदत है बुरी, छुड़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

178

सही समय पर सही फैसला
जीने की ये एक है कला
दुनिया भर को खुशियाँ बाँटों
अपने से मत करो फासला
अपने मन को नहीं भुलाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

177

अवसर की मत करो प्रतीक्षा
अपनी करते रहो समीक्षा
हमें सफलता दिलवाने को
लेता रहता समय परीक्षा
कोई पल भी नहीं गँवाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

176

चाहे सबसे छिपे खड़े हैं
टूटे बिखरे हुए पड़े हैं
बात सँभल कर लेकिन करना
दीवारों के कान बड़े हैं
दिल में अपने राज़ दबाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

175

आधी पूरी ओनी पोनी
चाहे कितनी हो अनहोनी
याद हमेशा रखना इतना
होनी तो होनी ही होनी
शोक न उसका कभी मनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

174

फल सब्जी से कर लो यारी
दूर रहेगी हर बीमारी
सात्विक भोजन को अपना लो
छोड़ो खाना मांसाहारी
शाकाहार सभी अपनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

173

चादर जितना पाँव पसारो
शांत भाव से समय गुजारो
होड़ करो जब भी औरों की
सही गलत को ज़रा विचारो
चिंताओं को दूर भगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

172

किये हुए सारे कर्मों का
लेखा जोखा है जन्मों का
ले मत लेना हाय किसी की
सार यही है सब धर्मों का
सद्कर्मों से सद्गति पाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

171

मेहनत से मंजिल को पाना
गलत राह को मत अपनाना
जल्दी उड़ने की कोशिश में
कहीं गर्त में मत गिर जाना
खुद पर ज़रा लगाम लगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

170

नहीं किसी की चुगली करना
कान किसी के भी मत भरना
काम करो जब कोई ऐसा
इज्जत को खोने से डरना
नहीं इधर की उधर लगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

169
स्वच्छ हमेशा रखना तन मन
बिल्कुल ऐसा जैसा दर्पण
खुशियों के ही दीप जलेंगे
आलोकित होगा यह जीवन
अपने को ऐसे चमकाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

168
लालच करना बुरी बला है
नहीं किसी का करे भला है
दंड भोगना पड़ता उसको
अगर किसी को कभी छला है
संतोषी बनकर दिखलाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

167

बुरी न कोई बात सुनो तुम
गलत न कोई राह चुनो तुम
बोलो जब मीठा ही बोलो
सच की केवल बात गुनो तुम
आदर्शों पर चलते जाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

166

अनुभव सबको सिखलाते हैं
उलझन भी वो सुलझाते हैं
कागज़ कलम बिना ही सबको
सच्चा पाठ पढ़ा जाते हैं
उन सबका भी लाभ उठाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

165

देख दूसरों को जलते हो
जैसे तुम उनसे डरते हो
सोच सोच कर ही उनको क्यों
अपने दिन काले करते हो
अपने मन को नहीं जलाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

164
जब जब भी पतझड़ आएगा
साथ बहारों को लाएगा
रात अंधेरी जब जाएगी
तभी उजाला मिल जाएगा
मन में बस उम्मीद जगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

163
धन कितना भी संचित करना
सुविधाओं का दास न बनना
समय बदलता ही रहता है
याद हमेशा इसको रखना
मात नहीं जीवन में खाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

162

किसी दुखी को ज़रा हँसाया
दुख थोड़ा भी अगर मिटाया
काम बड़ा ही है ये अच्छा
समझो सच्चा पुण्य कमाया
काम दूसरों के भी आओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

161

प्यार बिना है सूना जीवन
विचलित रहने लगता है मन
प्यार अगर होता जीवन में
गीत सुनाने लगती धड़कन
प्रीत अगर हो उसे निभाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

160
होगा जब भी आज रुपहरा
कल भी होगा तभी सुनहरा
कर्मशीलता से ही देखो
किस्मत का है रिश्ता गहरा
कभी न मेहनत से घबराओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

159

एकल अब परिवार हो गए
प्रेमभाव भी कहीं सो गए
दादी नानी वाले सारे
रिश्ते जाने कहाँ खो गए
अपनों के सँग समय बिताओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

158

यदि रख लें बड़े समझदारी
बच्चे समझें जिम्मेदारी
हँसते हँसते कट जाती है
जीवन की पूरी ही पारी
नहीं बीच में टाँग अड़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

157

जब अपनों से धोखे खाते
घाव बड़े दिल को मिल जाते
रिसते रहते वो जीवन भर
कभी भी नहीं हैं भर पाते
मगर उचित है उन्हें भुलाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
156

जब भी जागो तभी सवेरा
रह पाएगा नहीं अँधेरा
जाना खाली हाथ सभी को
क्यों करते हो तेरा मेरा
खुद को ऊपर और उठाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

155

शादी में माना बंधन हैं
जुड़े मगर रहते दो मन हैं
छोटी छोटी बातों से ही
होती भी रहतीं अनबन हैं
तालमेल को और बढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

154

हो जब भी उलझन में देखो
खुद को उस दर्पण में देखो
मुश्किल तो आती रहती है
सबके ही जीवन में देखो
हर मुश्किल का हल यूँ पाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

153

फूलों ने है हँसकर पहना
देखो काँटो का है गहना
बहुत जरूरी काँटों का सँग
अगर सुरक्षित देखो रहना
काँटों में रहकर मुस्काओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

152

दयाभाव को मन में रखना
अहंकार का रस मत चखना
देखभाल कर तो चलना है
अपनों को पर नहीं परखना
रिश्ते सच्चे नहीं गवाओं
जीवन को खुशहाल बनाओ

151

झगड़ा आपस में मत करना
बंटवारों से देखो डरना
रहना आपस में मिलजुल कर
बस जीवन में खुशियां भरना
खड़ी नहीं दीवार कराओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

150

चोटों से कैसा घबराना
बैठे बैठे अश्क बहाना
सबक सीखकर बढ़ना आगे
दिल से क्योंकर बात लगाना
मस्ती से हर उम्र बिताओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

149

नफरत से नफरत उपजेगी
और प्यार से प्रीत बढ़ेगी
जो दोगे वो ही पाओगे
ऐसे ही जिंदगी चलेगी
नफरत दिल से दूर भगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

148

रिश्तों की डोरी कच्ची है
पर होती दिल की सच्ची है
भर देती है घाव बड़े ये
जादू की देती झप्पी है
रिश्तों के ये फूल खिलाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
147

जीवन का कुछ नहीं भरोसा
जो भी चाहा वही परोसा
सुख दुख दोनों की गोदी में
उसने सबको पाला पोसा
खेलो कूदो मौज मनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

146
सपने कितने भी तुम पालो
कोशिश भी पूरी कर डालो
लेकिन देखो बहुत जरूरी
खुद की खातिर वक्त निकालो
खुद से ही चाहे बतियाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

145

सेहत सबसे बड़ा ख़ज़ाना
देखो इसको नहीं गवाना
रखना दिनचर्या को ऐसे
ठीक समय पर सोना खाना
और योग को भी अपनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

144

सब कुछ होता है कब मन का
चक्र बहुत टेढ़ा जीवन का
काम नहीं जो अपने आए
क्या करना है ऐसे धन का
बात समझ इतनी सी जाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

143

दीनदुखी की सेवा करना
गलत काम करने से डरना
बात याद ये रखना हरदम
जैसी करनी वैसा भरना
उच्च विचारों को अपनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

142
बीत गया सो बीत गया है
कभी न वापस लौट सका है
रोकर उसको बैठ गया तो
कर सकता वो नहीं भला है
कभी आज को नहीं गवाओं
जीवन को खुशहाल बनाओ

141
सुख दुख का आधार न कोई
इच्छा पर अधिकार न कोई
किस्मत कैसे होगी ऊंची
कर्मों से यदि प्यार न कोई
अपनी किस्मत को चमकाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

140
बार बार गिरकर भी उठना
अपनी कोशिश पूरी करना
मंजिल अपनी पा जाओगे
रुकावटों से कभी न डरना
बस मन में विश्वास जगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

139
शुद्ध चित्त से शुद्ध मनन हो
काम करो तो पूर्ण लगन हो
पंख हौसलों के ले लेना
उड़ने को जब खुला गगन हो
पावनता विचार में लाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

138
कहीं पहाड़ मुसीबत के हैं
झरने कहीं मुहब्बत के हैं
कहीं नदी कष्टों की बहती
कहीं रास्ते जन्नत के हैं
डरो नहीं बस बढ़ते जाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

137

मन में घृणा न पलने देना
ईर्ष्या भी मत बसने देना
देते रहना क्षमादान तुम
बात न कोई बढ़ने देना
कभी न आपस में टकराओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

136

हाथों में कर्मठता रखना
भावों में निर्मलता रखना
व्यवहार में रख सज्जनता
वाणी में कोमलता रखना
काम सभी के जग में आओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

135

मत सोचो जो बीत गया है
भरो उसे जो रीत गया है
जिसने कभी न रुकना सीखा
वो हर बाजी जीत गया है
सबक सीखते बढ़ते जाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

134
महल झूठ का है ढह जाता
सच ही पक्की नींव बनाता
अपनी मेहनत ताज सजाती
चोर शर्म से शीश झुकाता
कदम नहीं अपने भटकाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

133
आसमान में खूब उड़ो तुम
पूरे अपने स्वप्न करो तुम
नाम कमाना ऊंचा कितना
पर माटी से जुड़े रहो तुम
विनम्रता का गुण अपनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

132
दुख सहना भी बहुत जरूरी
यह बहना भी बहुत जरूरी
मौन बहुत अच्छा होता है
पर कहना भी बहुत जरूरी
सबसे तालमेल बैठाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

131
दसों इंद्रियां शक्ति हमारी
मगर बड़ी है ये लाचारी
सहना पड़ता इनको हर पल
इच्छाओं का बोझा भारी
इनको सही काम में लाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

130

बोझ नहीं तुम मन पर डालो
लिखने की भी आदत डालो
रोज़ डायरी में तुम अपनी
लिख अपनी हर हालत डालो
मन को मन की बात सुनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

129
नहीं द्वेष में क्रोध बढ़ाना
चुप रहकर पीछे हट जाना
काम बिगाड़ेगा ये सारे
इससे खुद को सदा बचाना
संयम रखकर कदम उठाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

128
मन को सच की राह दिखाना
मृगतृष्णा में मत भटकाना
सीमाओं में इसे बाँधकर
आगे आगे बढ़ते जाना
नहीं मात जीवन में खाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

127
प्रतिदिन थोड़ा सा मौन धरो
अंतर्मन से संवाद करो
मुक्त करो कुछ पल बंधन से
दिल के कुछ संताप हरो
प्रेम भाव दिल में उपजाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

126

मेहनत का रस्ता अपनाना
पर मशीन खुद मत बन जाना
वर्ना खो दोगे तुम अपना
सेहत का अनमोल ख़ज़ाना
नहीं बाद में फिर पछताओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

125

नहीं जवानी व्यर्थ गवाना
अपना तुम्हें भविष्य बनाना
ऐसा करना काम न कोई
पड़े बुढ़ापे में पछताना
ऐसा तुम संसार बसाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

124

जिसके मन में है निर्बलता
खा जाती उसको निर्धनता
बुरा समय हो चाहे जितना
नहीं छोड़ना तुम सज्जनता
अपने मन में दृढ़ता लाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

123
मन में रखना नहीं मलिनता
होती देखो बुरी कुटिलता
जीना भी आसान नहीं है
जीवन में हैं भरी जटिलता
फ़ूँक फ़ूँक कर कदम उठाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

122
क्रोध अग्नि मत जलने देना
कभी मलाल न पलने देना
मत विवेक को खोकर अपने
केवल मन की चलने देना
समझदार बनकर दिखलाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

121
कोशिश करना कभी न छोड़ो
धाराओं का रुख भी मोड़ो
अगर हार जाओ जीवन में
उसे जीत से फौरन जोड़ो
अपनी हिम्मत और बढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

120
धन कितना भी यहाँ कमाना
मगर नहीं ईमान डिगाना
आहों से डरकर है रहना
चोट किसी को मत पहुँचाना
सत्य मार्ग ही बस अपनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

119
गलत शब्द तो कभी न कहना
पर अन्याय नहीं तुम सहना
कितनी हों पथरीली राहें
नदिया के जैसे ही बहना
हँसकर नैया पार लगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

118
बेटों से होता घर उपवन
बेटी से चहके घर आंगन
कोई छोटा बड़ा नहीं है
दोनों ही महकाते जीवन
हक बेटी का नहीं दबाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

117
डरकर जीना कैसा जीना
जियो उठाकर अपना सीना
जीवन ये अनमोल मिला है
बनो एक अनमोल नगीना
खुद को कुछ ऐसे चमकाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

116
दुख से है कैसा घबराना
इसका रहता आना जाना
दुख जाता है जब जीवन से
तब होता है सुख का आना
गीत हमेशा सुख के गाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

115
जीवन चार दिनों का मेला
आना जाना सदा अकेला
जब जाता पतझड़ का मौसम
आ जाती खुशियों की बेला
साथ समय के ताल मिलाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
114

कहीं अँधेरे काले काले
खिले हुए हैं कहीं उजाले
कांटे रहते फूलों के संग
जीवन के हैं रंग निराले
खुद समझो सबको समझाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

113
जब अपने दम पर बढ़ते हैं
द्वार तरक्की के खुलते हैं
मिला यहां जो उससे खुश हो
प्राप्त सफलता को करते हैं
अपना पूरा जोर लगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

114
बात किसी की दिल पर मत लो
बिन मांगे तुम राय नहीं दो
अपने हाथ नहीं कुछ भी है
कल की चिंताओं को छोड़ो
हर पल का आनंद उठाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

112

गलतफहमियों की लग काई
बन जातीं रिश्तों में खाई
जीवन में खुशियाँ भर देते
सिर्फ़ प्यार के अक्षर ढाई
रिश्तों में विश्वास जगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

111
सपनों को यदि सच करना है
तो हर मुश्किल से लड़ना है
अपनी नज़र लक्ष्य पर रखकर
कदम साधकर बस चलना है
अपना ध्यान नहीं भटकाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

110
जब आती है संध्या बेला
समझो ख़ुद को नहीं अकेला
नयी दूसरी है ये पारी
शुरू हुआ है फिर से मेला
मस्ती से ये समय बिताओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

109

देखो सुंदरता बस मन की
देखभाल कर लो इस तन की
बेशकीमती है हर इक पल
उम्र बहुत छोटी जीवन की
सद्कर्मों से इसे सजाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
108

धैर्य नहीं खोना मुश्किल में
बोझिल मत होना मुश्किल में
करो सामना हँसते -हँसते
नहीं बैठ रोना मुश्किल में
सिर्फ़ हौसला और बढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

107
सबसे बड़ा क्षमा धन यारो
मिल जाता मन से मन यारो
नफ़रत के जहरीलेपन से
मुरझा जाता उपवन यारो
नाग़फनी ये नहीं लगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

106
धन के पीछे भाग रहे हो
लगा सुखों में आग रहे हो
समय त्याग देगा तुमको ही
जिसे अभी तुम त्याग रहे हो
अब तो चेत समय से जाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

105
अपने दम पर आगे बढ़ना
नहीं किसी से तुलना करना
होते सारे नहीं बराबर
ध्यान हमेशा इतना रखना
अपनी जय की ख़ुशी मनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

104

संस्कार क्यों छोड़ रहे हो
अपने रुख को मोड़ रहे हो
भूल सभ्यता से मुख अपना
बेशर्मी को ओढ़ रहे हो
वक्त सुनहरा नहीं गँवाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

103
घुटते रहना ठीक नहीं है
ग़म में बहना ठीक नहीं है
किसी ख़ास से ही ग़म बांटो
सबसे कहना ठीक नहीं है
गोपनीयता सदा बचाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

102
सदा लोभ से बचकर रहना
अहंकार से हटकर रहना
जितना ऊपर उठते जाओ
उतना ज्यादा झुककर रहना
रोज स्वयं को पाठ पढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

101
नहीं नुमाइश ग़म की करना
भले दिखावे को ही हँसना
मुँह से निकली बात परायी
याद हमेशा इसको रखना
सबको ही मत दर्द सुनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

100
जब अंधेरे छा जाते हैं
तभी उजाले भी आते हैं
नित आकर दिन रात हमें भी
बात यही तो समझाते हैं
दोनों को हँसकर अपनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

99
सदा प्रशंसा सच्ची करना
मगर झूठ से दूरी रखना
स्वयं मुँह मिया मिठ्ठू बनकर
तुम उपहास पात्र मत बनना
सद्भावों से नाम कमाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

98
जीवन रंगमंच है अपना
जिसमें अभिनय सबको करना
अलग अलग किरदार हमारे
संवादों को खुद है लिखना
अपना -अपना हुनर दिखाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

97
पैर पसारो जितनी चादर
आमदनी के करो बराबर
नहीं उधारी पर है जीना
खर्च करो सब सोच समझकर
मुश्किल अपनी नहीं बढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

96
बीमारी का पड़कर साया
रहती नहीं निरोगी काया
साथ छोड़ देते हैं अपने
उड़ जाती है सारी माया
अच्छी दिनचर्या अपनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
95
थककर कहीं बैठ मत जाना
आलस को भी मत अपनाना
सदा निरंतरता रखनी है
खुद को ऊँचा अगर उठाना
संयम से बस चलते जाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

94
सदा ईश्वर से है डरना
बस विश्वास बनाए रखना
जैसी करनी वैसी भरनी
यही सोचकर हमको चलना
शुद्ध विचारों को अपनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

93
मिली ज़िंदगी हमको प्यारी
हमें निभानी जिम्मेदारी
छूट नहीं कुछ हमसे जाए
करके चलनी है तैयारी
कर्तव्यों को सदा निभाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

92
सुख को हमें त्यागना होगा
काँटों पर भी चलना होगा
अगर सफलता पानी हमको
स्वाद हार का चखना होगा
नहीं जोखिमों से घबराओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

91
धन के पीछे ही मत भागो
नहीं मनोरंजन को त्यागो
सैर करो थोड़ी दुनिया की
जागो जागो मानव जागो
साथ प्रकृति का भी कुछ पाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
90

अक्सर अपने ही ठगते हैं
वार पीठ पर वे करते हैं
समझ नहीं पाते हम उनको
हमें वही अच्छे लगते हैं
पढ़ना आँखों को सिखलाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

89
थककर कुछ विश्राम करो तुम
जीना नहीं हराम करो तुम
ऊर्जावान बनो फिर इतना
हँसकर पूरा काम करो तुम
अपनी हर मंजिल को पाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

88
नहीं दबाओ दुख को अंदर
बोझ बढ़ाओ मत यूँ दिल पर
दवा चैन की थोड़ी कर दो
आँसू में तुम इन्हें बहाकर
अपने दुख को नहीं बढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

87
बिना सहारे चल सकते हो
बना सुनहरा कल सकते हो
नहीं बदल सकते सबको हो
खुद को मगर बदल सकते हो
बस अपने मन को समझाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

86
कभी शह कभी मात मिलेगी
सुख- दुख की बरसात मिलेगी
वक्त बदलता सदा रहेगा
साथ भोर के रात मिलेगी
हर पल का आनंद मनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

85
ठोकर खाकर खुद उठ जाना
भरम जाल से बाहर आना
समझ आदमी लेना पहले
फिर उस पर विश्वास जमाना
बार-बार मत धोखे खाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

84
माया बाँधेगी बंधन में
लालच भी भर देगी मन में
जो भागेगा इसके पीछे
चैन न पाएगा जीवन में
मत इसके चंगुल में आओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

83
तन की सुंदरता कुछ दिन की
दौलत वैभवता कुछ दिन की
कभी नहीं मद इन पर करना
साँसों की सत्ता कुछ दिन की
आत्ममुग्धता दूर भगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

82
जीवन संघर्षों का मेला
रहता हर दिन नया झमेला
सभी झेलते रहते इसको
केवल तू ही नहीं अकेला
दुख से कभी नहीं घबराओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

81
नेकी कर दरिया में डालो
ज्यादा मत उम्मीदें पालो
रोते हो यदि अपने दुख को
सुख की भी तो खुशी मना लो
बस अपने मन को समझाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

80

अपने दम पर आगे बढ़ना
बैसाखी पर कभी न चलना
अपने हाथों को ही देखो
तुम अपना भगवान समझना
खुद पर ही विश्वास बढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

79
पल में समय बदल जाता है
नहीं लौट कर फिर आता है
जिसने अच्छा समय गँवाया
वही हाथ मल पछताता है
हर इक पल का लाभ उठाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

78

भूलों का पश्चाताप करो
विश्लेषण अपनेआप करो
सीखों उनसे आगे बढ़ना
मत दिल पर उनकी छाप करो
नहीं भूल अपनी दोहराओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

77

देखो नश्वर है ये जीवन
कदम -कदम पर ही है उलझन
सुलझाना भी उन्हें तुम्हें है
एकाग्रचित करके अपना मन
समझ-बूझ कर सब सुलझाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

76

जीवन अपना एक समर है
हर पल रखनी हमें नज़र है
होती भी है बहुत जरूरी
करनी थोड़ी अगर मगर है
चूक कहीं पर भी मत जाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

75

जरा धूल सड़को की फ़ाँकों
जो है पास, उसे ही आँको
खुद को उन्नत करो यहां बस
नहीं दूसरे घर में झाँको
असंतोष को दूर भगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

74
माना जो हम स्वप्न सजाते
अक्सर आँखों में मर जाते
मगर बैठकर ओढ़ उदासी
क्यों बस उनका शोक मनाते
सपने मन में और सजाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

73
देख दूसरों को मत जलना
कभी किसी को भी मत छलना
मंजिल को पाने की खातिर
कभी गलत पथ पर मत चलना
अपने मन पर काबू पाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

72

बीते को बिसराना होगा
आगे कदम बढ़ाना होगा
अनुभव से भी सीख सीखकर
हमें सफल हो जाना होगा
नहीं गलतियों को दोहराओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

71

नहीं एक से रहते मौसम
वक्त बदलता रहता हरदम
बड़ा सत्य है ये जीवन का
सुख आते ,जब जाते हैं गम
बुरे वक्त से मत घबराओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
70

दिल के राज़ कभी मत खोलो
तोल मोल के बातें बोलो
सदा निभाना दिल से रिश्ते
दौलत से मत उनको तोलो
यह जीवन शैली अपनाओ
जीवन को खुशहाल बना

69
लगे बुढ़ापा सबको भारी
खत्म हो चुकीं जिम्मेदारी
मन का साथ नहीं तन देता
बढ़ती जाती हैं लाचारी
चिंतन में कुछ ध्यान लगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

68

जीने को है प्यार जरूरी
होनी भी तकरार जरूरी
प्यार बढ़ाती हैं तकरारें
मगर मनाना यार जरूरी
खुद भी रूठो और मनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

67

पंख हौसलों के बस रखना
बार -बार गिरकर भी उठना
किस्मत का ही खेल समझकर
स्वाद हार का हँसकर चखना
सकारात्मकता अपनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

66

बेटी है ममता का आंगन
बेटा कर्तव्यों का उपवन
बेटा बेटी दोनों से ही
पूरा होता है ये जीवन
दोनों को संस्कार सिखाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

65

बदल निरंतर रहा ज़माना
हर बदलाव हमें अपनाना
रखकर अपनी सोच पुरानी
संघर्षों को नहीं बढ़ाना
नई सोच से सोच मिलाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

64
मिली हमें ये काया नश्वर
मत अभिमान करो तुम इस पर
माया भी है आनी जानी
रहो लोभ से इसके बचकर
सद्कर्मों से नाम कमाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

63

हमें खून के रिश्ते मिलते
जितना सींचो उतना खिलते
दोस्त मगर मिलते किस्मत से
बिना दाम ज़ख्मों को सिलते
दोस्त कमाओ खुशियाँ पाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

62
ख़ूब निभाना दुनियादारी
पूरी करना जिम्मेदारी
मत सोचो क्या लोग कहेंगे
बहुत ज़रूरी दिल से यारी
बातें दिल से नहीं लगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

61

मातपिता को सिवा हमारे
कोई देता नहीं सहारे
ये तो उनकी है लाचारी
आज उम्र से हैं वो हारे
सेवा करके पुण्य कमाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

60

सास बहू की बन सकती है
पर पल में ही ठन सकती है
दोनों हक पर लड़ती रहतीं
कैसे इनमें छन सकती है
द्वेष नहीं बेबात बढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

59

जहाँ बड़ों का होता आदर
मंदिर बन जाता है वो घर
देते है आशीष हमें वो
हाथ उठाकर झोली भर -भर
चरणों की रज भाल लगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

58

बेटी बेटे से कब कमतर
क्यों करते हो इनमें अंतर
अवसर इनको देकर देखो
दिखलाएंगी नभ को छूकर
योग्य बनाओ ख़ूब पढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

57

जगते रहते सोते-सोते
पाते भी हैं खोते -खोते
अगर नहीं मेहनत हैं करते
कटता जीवन रोते -रोते
कुछ अच्छा करके दिखलाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

56

छोटी-छोटी खुशियाँ जी लो
हँसते-हँसते ग़म भी पी लो
अपने कर्तव्यों से हटकर
ख़बर जरा सी मन की भी लो
अवसादों को दूर भगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

55
बच्चों के सँग वक्त बिताना
अपने बचपन में है जाना
नहीं कीमती वक्त गँवाओ
नही लौटकर है ये आना
बच्चा बनकर मौज मनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

54
मत सोचो पहचान नहीं है
जग में कोई मान नहीं है
जन्मजात प्रतिभाएँ भी हैं
उनका तुमको भान नहीं है
उनको समझो, बाहर लाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

53
जीवन अविरल एक सफर है
कल की कोई नहीं ख़बर है
पता नहीं है मंजिल का भी
चलना लेकिन डगर-डगर है
बिना डरे बस चलते जाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

52
बीमारी से योग बचाता
तन -मन दोनों स्वस्थ बनाता
शक्तिशाली हमें बनाकर
ये हिम्मत को और बढ़ाता
योग ज़िंदगी भर अपनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

51

इंटरनेट लुभाता प्यारे
नहीं गुप्त अब राज़ हमारे
निजी हमारे जो पल होते
आज देखते जग में सारे
इन सब पर प्रतिबंध लगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

50

पानी को मत व्यर्थ बहाओ
एक-एक भी बूंद बचाओ
नहीं बहाएंगे हम पानी
कसम सभी ये मिलकर खाओ
जल संरक्षण विधि अपनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

49
वृद्धाश्रम का दौर चला है
देख इसे दिल बहुत जला है
पाला पोसा हमें जिन्होंने
क्यों उनका अब साथ खला है
अपना हश्र सोच घबराओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

48

हिंदी भाषा कितनी प्यारी
कहती दिल की बात हमारी
मगर मातृभाषा होकर भी
क्यों हम सबकी नहीं दुलारी
सब हिंदी से प्यार बढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

47
लोकतंत्र ये देश हमारा
इसे जानता है जग सारा
राजनीति धर्मो की करके
क्यों करते हैं हम बटवारा
गीत एकता का बस गाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

46
भ्रष्टाचार मिटाना होगा
राम राज्य फिर लाना होगा
यहाँ गलत जो काम करेगा
दंड उसे दिलवाना होगा
बीड़ा इसका सभी उठाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

45

छोटी सोच बदल जाएगी
नई चेतना ले आयेगी
समता के जब भाव जगेंगे
तभी गरीबी मिट पाएगी
जन -जन में अब जोश जगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

44
हमको ये त्यौहार हमारे
कभी लगा करते थे प्यारे
मगर आधुनिकता की आँधी
उड़ा ले गई सपने सारे
संस्कारों को नहीं मिटाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

43
पंछी देते नहीं दिखाई
उनके घर पर विपदा आई
पेड़ कटे उनके घर टूटे
कैसे होगी ये भरपाई
तरस इन पर भी खाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

42
सारे जग में सबसे प्यारा
देखो हिंदुस्तान हमारा
जिए देश की खातिर यूँ हम
बहे प्रेम की दिल में धारा
नफ़रत दिल से दूर भगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

41

छिन्न -भिन्न ओजोन परत है
धरती की बिगड़ी हालत है
बहुत विषैली किरणों से अब
सारी दुनिया ही आहत है
सुविधाओं पर रोक लगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

40
मानव की है ये मनमानी
कुदरत से भिड़ने की ठानी
रौंद पहाड़ों को भी डाला
रही न धरती उतनी धानी
नहीं धरा का कोप बढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

39

सज़ा प्रेम की है ये भारी
कटती है टुकड़ों में नारी
फैल रही है अब तेजी से
स्वछंदता की ये बीमारी
जल्दी इस पर रोक लगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

38

अब एकल परिवार हो गए
रिश्ते नाते कहीं खो गए
आगे बढ़ने की कोशिश में
स्वप्न स्वार्थ के बीज बो गए
आपस में मिल प्रेम बढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

37

नारी मत सीमाएँ तोड़ो
संस्कारों से नाता जोड़ो
आसमान को छू लो लेकिन
मर्यादा से मुँह मत मोड़ो
अपनी छवि को नहीं गिराओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

36
कुछ ऐसा करके दिखलाना
जग में ऊंचा नाम कमाना
चार दिनों के लिए मिला है
कोई दिन भी नहीं गवाना
कभी न मेहनत से कतराओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

35

भौतिक सुख इतने प्यारे है
पेड़ काट डाले सारे हैं
पर्यावरण बिगाड़ा अपना
तभी कोप के अब मारे है
पेड़ लगाओ धरा बचाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

34

आज उठाया करती नारी
घर बाहर की जिम्मेदारी
मगर रोज ही अब भी होती
उस पर तानों की बमबारी
थोड़ा उसका हाथ बटाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

33

बेटा बेटी एक बराबर
लाते दोनों ख़ूब कमाकर
मगर ज़माना ये कब बदला
बेटी को आंके है कमतर
बोझ डालकर नहीं दबाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
32

ऑफिस होते हैं अब घर में
डूबे रहते कंप्यूटर में
मेल मिलाप नहीं अब होता
रहें काम के ही चक्कर में
अपने कुछ संपर्क बढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

31

आपस के मतभेद मिटाओ
मत उनको मनभेद बनाओ
अपने बच्चों को घर पर ही
मानवता का पाठ पढ़ाओ
खुद बनकर आदर्श दिखाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

30

सृजन करे इस जग का नारी
सब रिश्तों पर ही है भारी
इसका मान बढ़ाने की अब
पुरुषों की है जिम्मेदारी
होने से अपमान बचाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

29

अपने मन को मत तड़पाना
गाकर मज़बूरी का गाना
करो नज़रंदाज़ इसे मत
दो ख़ुशियों का इसे खज़ाना
मत इसपर प्रतिबंध लगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

28
चाहे रिश्तों में उलझन हो
आपस में कितनी अनबन हो
दीवारें मत खिंचने देना
ख़त्म नहीं ये अपनापन हो
बस अपना परिवार बचाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

27
जीवन सुख-दुख का हिसाब है
जैसे काँटों सँग गुलाब है
चुभन मिले चाहे कितनी भी
मगर महकता लाज़वाब है
हँसते-हँसते इसे बिताओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

26
बाधाओं से क्या घबराना
अपनी मंजिल को है पाना
लगें ठोकरें चाहे कितनी
बस आगे ही बढ़ते जाना
हर मुश्किल से आँख मिलाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

25
जीना नहीं सरल है यारो
पीना यहाँ गरल है यारों
राहों पर इतने काँटें हैं
रहते सभी विकल हैं यारो
हिम्मत से बस कदम बढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

24

मय को दवा गमों की कहते
खूब नशे में डूबे रहते
अपनी नाकामी से डरकर
उससे और बड़ा ग़म सहते
कभी न मय को हाथ लगाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

23

माना रखती हैं उलझन में
महत्वकांक्षाएँ जीवन में
मगर सफलता भी है मिलती
इच्छाएँ जब रहती मन में
बस विवेक से कदम बढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

22

अनहोनी से क्यों कर डरना
सबको ही है इक दिन मरना
कर्मों से ही हमको अपना
पूरा लेखा जोखा भरना
आध्यात्मिक कुछ हो जाओ
ये जीवन खुशहाल बनाओ

21

बुरे वचन मत कभी कहो
ईर्ष्या से भी तो बचे रहो
हार मिले या जीत यहाँ
सदा वक्त के ही साथ बहो
सदाचार ही बस अपनाओ
ये जीवन खुशहाल बनाओ

*
1
एक एक पल जी लो जी भर
नहीं आएगा समय लौटकर
बिछे मिलेंगे अगर फूल तो
चलना भी होगा कांटों पर
अपने मन को बस समझाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

2
क्यों रोते हो दुख को केवल
इसे बनाओ अपना संबल
हिम्मत से तो मिल जाता है
हमें किसी भी मुश्किल का हल
सकारात्मकता अपनाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
3
मिलता है दुख, दुख गाने से
घट जाता दुख समझाने से
याद हमेशा इतना रखना
सुख आता है दुख जाने से
दुख के मत तुम भाव बढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
4
आती हैं सुख की भी घड़ियाँ
हँसी खुशी की बन फुलझड़ियाँ
खुशबू से मन भर जाता है
यादों की जब खिलती कलियाँ
मन के उपवन को महकाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
5
मृगतृष्णा को तुम मत पालो
मन में धन संतोष कमा लो
चार दिनों का जीवन है ये
इस जीवन को सफल बना लो
हर पल का आनन्द उठाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
6
क्या माटी क्या होता सोना
पड़ता यहाँ बहुत कुछ खोना
कर्म करो, फल की मत सोचो
नहीं मिला उसको क्या रोना
आगे अपने कदम बढ़ाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

7
चुनो महल सपनों का सुंदर
अपने मन के रंगों को भर
ऊँची-ऊँची भरो उड़ानें
अपनों का तुम हाथ पकड़कर
नाम जगत में तुम कर जाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
8
संबंधों की बनती क्यारी
सजती जीवन की फुलवारी
नेह नीर से इन्हें सींचकर
महकाओ यह बगिया सारी
रिश्तों के यूँ फूल खिलाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
9
सुख में तो सब साथी होते
दुख में मगर अकेले रोते
पछताते रहते वो जग में
समय बिताते जो बस सोते
नहीं समय को व्यर्थ गँवाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
10
जीवन के सँग-सँग हम बहते
इम्तिहान बस देते रहते
थक जाएँ चाहे हम कितना
नहीं ज़िंदगी से कुछ कहते
हँसते-हँसते चलते जाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

11
कर्मों के मिलते हमको फ़ल
नहीं जानते क्या होगा कल
काम दूसरों के बस आना
कभी किसी से मत करना छल
कभी किसी को नहीं सताओ
जीवन को खुशहाल बनाओ
12

हँसते -हँसते सब दुख काटो
दर्द दूसरों का भी बाटो
अगर दरार पड़े रिश्तों में
सबसे पहले उसको पाटो
खुशियों से संसार सजाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

13
पैसों में ही कभी तोलकर
करो नहीं लोगों में अंतर
कोई बड़ा न कोई छोटा
सारे ही हैं एक बराबर
ऊँच-नीच का भेद मिटाओ
जीवन को खुशहाल बनाओ

14
फूल प्यार के हमें उगाने
नफरत के हैं शूल मिटाने
अपनेपन की खुशबू से ही
अपने रिश्ते हैं महकाने
दिल से दिल को ज़रा मिलाओ
ये जीवन ख़ुशहाल बनाओ

15

सबसे पहले मद को छोड़ो
स्वार्थ भरी दीवारें तोड़ो
बड़े भले कितने बन जाओ
अपनों से तुम मुँह मत मोड़ों
दिल को अपने बड़ा बनाओ
ये जीवन खुशहाल बनाओ

16

मिलती जब हमको नाकामी
लगे दूसरों में ही खामी
उससे ही गुस्सा हो जाते
जिसकी भी उँगली है थामी
नहीं जुल्म अपनों पर ढाओ
ये जीवन खुशहाल बनाओ

17

सुख -दुख दोनों ही हैं आते
मगर बहक हम फिर भी जाते
खो देते हैं आपा अपना
मन को पकड़ नहीं हम पाते
इस मन पर अधिकार जमाओ
ये जीवन खुशहाल बनाओ

18

केवल सच की ही बात कहो
मत जुल्मों को भी कभी सहो
मानवता का गहना पहनो
सब भेदभाव से दूर रहो
खुद से थोड़ा प्यार बढ़ाओ
ये जीवन खुशहाल बनाओ

19

दौलत के मत पीछे भागो
रिश्तों पर गोली मत दागो
यहाँ अकेले रह जाओगे
जागो जागो मानव जागो
प्रेम सुमन से धरा सजाओ
ये जीवन खुशहाल बनाओ

20

समझो सबसे प्रथम धर्म को
जानो इसके सही मर्म को
तेर मेर की छोड़ो बातें
जोड़ो इससे सिर्फ कर्म को
विश्व एक परिवार बनाओ
ये जीवन खुशहाल बनाओ

20-10-2021
डॉ अर्चना गुप्ता

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