3342.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3342.⚘ पूर्णिका ⚘
🌹 बदलाव की बयार चली🌹
2212 1222
बदलाव की बयार चली ।
यूं प्यार की बहार चली।।
बस आज देखने वाले।
सावन बने फुहार चली ।।
महके चमन खिले कलियाँ ।
जान अपनी निसार चली।।
साथी बने जहाँ मौसम ।
कर लाड़ भी दुलार चली।।
तकनीक है आजमा खेदू।
फितरत यहाँ पुकार चली।।
…………✍ डॉ .खेदू भारती “सत्येश “
29-04-2024सोमवार