3287.*पूर्णिका*
3287.*पूर्णिका*
🌷 रखते नहीं खबर कोई यहाँ 🌷
22 1212 2212
रखते नहीं खबर कोई यहाँ ।
रखते नहीं सबर कोई यहाँ ।।
दुनिया मुड़े तने देखो जरा।
रखते नहीं रबर कोई यहाँ ।।
सच में अकाल आती मौत भी ।
रखते नहीं कबर कोई यहाँ ।।
खुशियाँ यहीं कहीं रहती सजन ।
रखते नहीं जबर कोई यहाँ ।।
बस नैन बरसते खेदू भले।
रखते नहीं अबर कोई यहाँ ।।
………..✍ डॉ. खेदू भारती “सत्येश”
18-04-2024गुरुवार