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17 Apr 2024 · 1 min read

3285.*पूर्णिका*

3285.*पूर्णिका*
🌷 राज अपना जग जाहिर हुए 🌷
2122 22 212
राज अपना जग जाहिर हुए।
काम में हम यूं माहिर हुए।।
खूबसूरत अपनी जिंदगी ।
देख दुनिया भी साहिर हुए ।।
जंग से भागे सच दुश्मन भी ।
सेहरा बांधे काहिर हुए।।
आज खुद पे करते हैं यकीं ।
नेक दिल अपना ताहिर हुए ।।
पांव चूमे खेदू मंजिलें ।
मेहनत अपनी बाहिर हुए।।
…………✍ डॉ. खेदू भारती “सत्येश”
17-04-2024बुधवार

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