3272.*पूर्णिका*
3272.*पूर्णिका*
🌷 करते हम आलिंगन 🌷
22 22 22
करते हम आलिंगन ।
देखो ये रोज गगन।।
पाकर सच प्यार यहाँ
रहते मन देख मगन ।।
जीवन आनंद यहीं ।
सजन मस्त अलमस्त खगन।।
रस घोले कानों में ।
खन खन खनके कंगन ।।
औरों से हट खेदू।
अपना नायाब जगन ।।
……..✍ डॉ. खेदू भारती “सत्येश”
13-04-2024शनिवार