Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Apr 2024 · 1 min read

3258.*पूर्णिका*

3258.*पूर्णिका*
🌷 सुंदर जीवन 🌷
22 22
सुंदर जीवन ।
सुंदर उपवन ।।
हरित धरा है ।
शोभित ये वन ।।
रोज फुहारें ।
बरसे सावन ।।
प्रफुल्लित है जन ।
मन भी पावन ।।
सच में खेदू ।
जग मनभावन।।
………✍ डॉ. खेदू भारती “सत्येश”
10-04-2024बुधवार

99 Views

You may also like these posts

*वो खफ़ा  हम  से इस कदर*
*वो खफ़ा हम से इस कदर*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मर्ज
मर्ज
AJAY AMITABH SUMAN
बिछड़कर मुझे
बिछड़कर मुझे
Dr fauzia Naseem shad
ज़माने की बुराई से खुद को बचाना बेहतर
ज़माने की बुराई से खुद को बचाना बेहतर
नूरफातिमा खातून नूरी
"आज का आदमी"
Dr. Kishan tandon kranti
It is not what you know makes you successful, but what you d
It is not what you know makes you successful, but what you d
पूर्वार्थ
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Neha
कैसे हो तुम ए दोस्त ये क्या किए जाते हो
कैसे हो तुम ए दोस्त ये क्या किए जाते हो
Jyoti Roshni
4789.*पूर्णिका*
4789.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वो मेरी कविता
वो मेरी कविता
Dr.Priya Soni Khare
सुनहरी भाषा
सुनहरी भाषा
Ritu Asooja
परिश्रम
परिश्रम
Neeraj Agarwal
ये रब की बनाई हुई नेमतें
ये रब की बनाई हुई नेमतें
Shweta Soni
सो
सो
*प्रणय*
नाख़ूनों पर
नाख़ूनों पर
Akash Agam
*भला कैसा ये दौर है*
*भला कैसा ये दौर है*
sudhir kumar
नवगीत - बुधनी
नवगीत - बुधनी
Mahendra Narayan
एक मुखी रुद्राक्ष या, ....एक मुखी इंसान।
एक मुखी रुद्राक्ष या, ....एक मुखी इंसान।
RAMESH SHARMA
दोहा पंचक. . . . मजबूर
दोहा पंचक. . . . मजबूर
sushil sarna
तुम यह अच्छी तरह जानते हो
तुम यह अच्छी तरह जानते हो
gurudeenverma198
प्रेम वो नहीं
प्रेम वो नहीं
हिमांशु Kulshrestha
उलझता रहता है हर कोई यहां इश्क़ की चाहतों में।
उलझता रहता है हर कोई यहां इश्क़ की चाहतों में।
Manisha Manjari
*चिंता और चिता*
*चिंता और चिता*
VINOD CHAUHAN
मनुष्य का उद्देश्य केवल मृत्यु होती हैं
मनुष्य का उद्देश्य केवल मृत्यु होती हैं
शक्ति राव मणि
चलो आज कुछ बात करते है
चलो आज कुछ बात करते है
Rituraj shivem verma
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
Dost
Dost
Rambali Mishra
* बॅंटे जाति में क्षुद्र, क्षमा मोदी जी करना (कुंडलिया)*
* बॅंटे जाति में क्षुद्र, क्षमा मोदी जी करना (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
कुण्डलिया छंद
कुण्डलिया छंद
sushil sharma
Loading...