3258.*पूर्णिका*
3258.*पूर्णिका*
🌷 सुंदर जीवन 🌷
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सुंदर जीवन ।
सुंदर उपवन ।।
हरित धरा है ।
शोभित ये वन ।।
रोज फुहारें ।
बरसे सावन ।।
प्रफुल्लित है जन ।
मन भी पावन ।।
सच में खेदू ।
जग मनभावन।।
………✍ डॉ. खेदू भारती “सत्येश”
10-04-2024बुधवार