Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Apr 2024 · 1 min read

3237.*पूर्णिका*

3237.*पूर्णिका*
🌷 जो चाहते वो पाते हैं🌷
2212 22 22
जो चाहते वो पाते हैं।
नगमें खुशी के गाते हैं ।।
बस प्यार से दुनिया चहके।
यूं जिंदगी महकाते हैं ।।
मंजिल यहाँ झूमे नाचे ।
हम मेहनत कर जाते हैं ।।
तकदीर बदले सोच बड़ी ।
सुंदर जहाँ हंसाते हैं ।।
हालात ना देखें खेदू।
हमदोस्त साथ निभाते हैं ।।
……..✍ डॉ. खेदू भारती “सत्येश”
05-04-2024शुक्रवार

118 Views

You may also like these posts

बचपन
बचपन
संजीव शुक्ल 'सचिन'
4321.💐 *पूर्णिका* 💐
4321.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
चुगलखोरों और जासूसो की सभा में गूंगे बना रहना ही बुद्धिमत्ता
चुगलखोरों और जासूसो की सभा में गूंगे बना रहना ही बुद्धिमत्ता
Rj Anand Prajapati
"आज मैं काम पे नई आएगी। खाने-पीने का ही नई झाड़ू-पोंछे, बर्तन
*प्रणय*
कब आओगे?
कब आओगे?
Rambali Mishra
*धनुष (बाल कविता)*
*धनुष (बाल कविता)*
Ravi Prakash
आ फिर लौट चलें
आ फिर लौट चलें
Jai Prakash Srivastav
क्या, तुम प्रेम में हो
क्या, तुम प्रेम में हो
Kanchan Advaita
बिन तुम्हारे अख़बार हो जाता हूँ
बिन तुम्हारे अख़बार हो जाता हूँ
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
तुमको अच्छा तो मुझको इतना बुरा बताते हैं,
तुमको अच्छा तो मुझको इतना बुरा बताते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
न्यायप्रिय होना अनिवार्य है क्योंकि जो न्यायप्रिय है,वही कुद
न्यायप्रिय होना अनिवार्य है क्योंकि जो न्यायप्रिय है,वही कुद
गौ नंदिनी डॉ विमला महरिया मौज
कर मुसाफिर सफर तू अपने जिंदगी  का,
कर मुसाफिर सफर तू अपने जिंदगी का,
Yogendra Chaturwedi
अच्छे समय का
अच्छे समय का
Santosh Shrivastava
सड़कों पे डूबते कागज़
सड़कों पे डूबते कागज़
Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी)
गुफ्तगू
गुफ्तगू
Naushaba Suriya
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
सर-ए-बाजार पीते हो...
सर-ए-बाजार पीते हो...
आकाश महेशपुरी
क्यों दिल पे बोझ उठाकर चलते हो
क्यों दिल पे बोझ उठाकर चलते हो
VINOD CHAUHAN
"हमारे दर्द का मरहम अगर बनकर खड़ा होगा
आर.एस. 'प्रीतम'
मुक्तक
मुक्तक
surenderpal vaidya
इम्तिहान
इम्तिहान
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
विश्व टीकाकरण सप्ताह
विश्व टीकाकरण सप्ताह
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
घमंड की बीमारी बिलकुल शराब जैसी हैं
घमंड की बीमारी बिलकुल शराब जैसी हैं
शेखर सिंह
किसी के साथ हुई तीखी नोंक-झोंक भी
किसी के साथ हुई तीखी नोंक-झोंक भी
Ajit Kumar "Karn"
कभी-कभी दुख नदी के तेज बहाव की तरहा आता है ऐसे लगता है सब कु
कभी-कभी दुख नदी के तेज बहाव की तरहा आता है ऐसे लगता है सब कु
पूर्वार्थ
प्यारा भारत देश
प्यारा भारत देश
Pushpa Tiwari
ये कैसी विजयादशमी
ये कैसी विजयादशमी
Sudhir srivastava
When you think it's worst
When you think it's worst
Ankita Patel
" बयां "
Dr. Kishan tandon kranti
खयालों ख्वाब पर कब्जा मुझे अच्छा नहीं लगता
खयालों ख्वाब पर कब्जा मुझे अच्छा नहीं लगता
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
Loading...