3214.*पूर्णिका*
3214.*पूर्णिका*
🌷 काहे की मजबूरियाँ🌷
22 22 212
काहे की मजबूरियां ।
रखते हमसे दूरियां ।।
रोज नजारे खुशनुमा ।
बदलो अपना नजरिया ।।
बात यहाँ तू जान ले।
कहती बस आज दुनिया।।
करते कितने मेहनत।
जीने का देख जरिया ।।
महके खेदू जिंदगी।
यूं सोच बदल बजरिया।।
………✍ डॉ. खेदू भारती “सत्येश”
30-03-2024शनिवार