3180.*पूर्णिका*
3180.*पूर्णिका*
🌷 जिंदगी बनती नहीं बहाने से🌷
2122 212 1222
जिंदगी बनती नहीं बहाने से ।
मैल भी धुलती नहीं नहाने से ।।
रीत देखो प्रीत भी मिलेगी ना।
सीख भी चलती नहीं जमाने से।।
बात अपनी अलग है यहाँ सच में।
यूं कली खिलती नहीं खिलाने से।।
मेहनत ही शान है यहाँ अपनी।
मंजिलें मिलती नहीं मिलाने से।।
गुजर जाते हैं जहाँ कहीं खेदू।
नजर ये हटती नहीं हटाने से।।
…….✍ डॉ .खेदूभारती”सत्येश”
25-03-2024सोमवार