3172.*पूर्णिका*
3172.*पूर्णिका*
🌷 मानता अपनी हार नहीं🌷
2122 22 22
मानता अपनी हार नहीं ।
चाह तुझको स्वीकार नहीं ।।
हम लुटाते हरदम खुशियांँ ।
तुम किए कुछ बलिहार नहीं ।।
सोच बदल कर चलो बलमा।
नेक सपना साकार नहीं ।।
जान कर भी अंजान बने।
देख ऐसा आधार नहीं ।।
हाथ तेरा थामा खेदू।
पार दरिया पतवार नहीं ।।
……….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
24-03-2024रविवार