3149.*पूर्णिका*
3149.*पूर्णिका*
🌷 जीवन का आधार है कोई🌷
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जीवन का आधार है कोई।
समझो तो लाचार है कोई।।
दिल है बेईमान क्या समझे।
बिकता यूं बाजार है कोई।।
बहके बहके ये जमाना है ।
खुद का खुद सरकार है कोई।।
कागज के ये फूल खुशबू दे।
देख यहाँ करतार है कोई ।।
नेक इरादा रख चले खेदू।
करता बेड़ापार है कोई।।
………….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
20-03-2024बुधवार