3107.*पूर्णिका*
3107.*पूर्णिका*
🌷 जो सपनें सजाते हैं🌷
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जो सपनें सजाते हैं ।
सच दुनिया बनाते हैं ।।
दिन हो रात हो बढ़ते।
अपना सर कटाते हैं ।।
जीवन नाम है संघर्ष ।
शान यहाँ बढ़ाते है ।।
करते प्यार जो हमको।
दिल में हम बसाते हैं ।।
रखते गम नहीं खेदू ।
खुशियांँ भी जताते हैं ।।
………..✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
11-03-2024सोमवार