3056.*पूर्णिका*
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3056.*पूर्णिका*
🌷 जो ना समझे गए काम से🌷
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जो ना समझे गए काम से ।
दुनिया उलझे गए काम से ।।
अपनों से जिंदगी महकती।
कुछ ना सुलझे गए काम से ।।
देखो तो प्यार का चमन है ।
खिलके मुरझे गए काम से ।।
बहती धारा यहाँ शान की ।
जाकर अरझे गए काम से ।।
गम में खेदू खुशी बांटते।
मंजिल लरझे गए काम से।।
…….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
29-02-2024गुरुवार