3014.*पूर्णिका*
3014.*पूर्णिका*
🌷 सच नादानियां समझ पाते
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सच नादानियां समझ पाते ।
अपना कौन है समझ पाते ।।
न परेशानियां आज होती ।
यूं मजबूरियां समझ पाते ।।
दुनिया देखती बस हमें क्या।
ये कुरबानियां समझ पाते ।।
होकर गुजरती राह मंजिल ।
हम किलकारियां समझ पाते।।
रहबर है यहाँ सोच खेदू।
वक्त पे काश हम समझ पाते ।।
……✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
16-02-2024गुरुवार