3004.*पूर्णिका*
3004.*पूर्णिका*
🌷 मन से संकल्पित हो जाएं
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मन से संकल्पित हो जाएं ।
आनंद पल्लवित हो जाएं।।
दुनिया जीत आगे बढ़ते।
संग समय पुष्पित हो जाएं।।
खुद को पहचान जाते सच ।
इंसान समर्पित हो जाएं ।।
आते बदलाव जीवन में ।
अपनी जां अर्पित हो जाएं ।।
बेफिक्र रहते यहाँ खेदू।
जब साज सुसज्जित हो जाएं ।।
…………✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
13-02-2024मंगलवार