30 सेकंड का वीडियो
हम हैं कौन ? एक हाड मास जिसमें कुछ रक्त नलिया, हृदय, किडनी वे अलग-अलग कार्य के लिए अलग-अलग अंग है ।
हम बुद्धिजीवी है जिसका दिमाग बहुत ही ताकतवर है ।
या फिर ,ना अग्नि से जल सके ,हवा से ना भुज सके पानी में न डूब सके वे आत्मा है। इंसान की उत्पत्ति हुई तभी से वह संघर्षों में घिरा हुआ है।
जीवन की तलाश में ,सुख की तलाश में ,आज पैसे की तलाश में और उस वक्त हवा… हुआ की तलाश में, विज्ञान साबित करने की तलाश में ,सबूत दिखाने की तलाश में ,साधु विश्वास की तलाश में आदिमानव खाने की तलाश में पर आज भी हम किसी ने किसी तलाश में व्यस्त है ।
आप व्यस्त हो मैं व्यस्त हूं
ऊपरवाला हमें व्यस्त रखता है
हम व्यस्त रहते हैं किसी न किसी खोज में कुछ करने के लिए कुछ साबित होने के लिए कुछ साबित कराने के लिए
हम सबकी अलग-अलग सोच है ,सही कहती है दुनिया 5 उंगलियां बराबर नहीं होती है ।
किंतु मैं मानता हूं कुछ प्रश्नों में सबके उत्तर एक समान होते हैं ,सबकी राय एक समान होती है कभी ना कभी सभी पक्ष विपक्ष दल समूह आपके साथी मैं या आप किसी एक मोड़ पर शून्य हो जाते हो।
एकमत पर सहमत हो जाते हैं पूर्ण हृदय से ।
मैं शून्य को बहुत महत्वपूर्ण मानता हूं ,वह कुछ ना हो फिर भी बहुत कुछ है निराकार है गोल है जैसे पृथ्वी अमर अजर सी
मानो समाप्त कभी नहीं हो।
किंतु हमारा जीवन पल दो पल का होता है उन दो पलों में कितने ही चेहरे को बेनकाब, कितना ही ज्ञान ,कितने रिश्ते, कितने कर्म, कितने अच्छे बुरे का अनुभव सब कुछ इन दो पलों में हम समझ लेते हैं। पर इन दो पलों के सूक्ष्म रूप करें तो बहुत से लोग ऐसे होंगे जिन्हें अभी भी अपनी जिंदगी बोज लग रही होगी ।
इसलिए ऊपर वाला इन्हें उलझा के रखता है।
व्यस्त रखता है कि निराशाओ पर इनका ध्यान ना जाए ।
यह बातों का रास्ता शब्दों के माध्यम से किसी और मोड़ पर
ले जा रहा हूं ।
कुछ दिन पहले मैंने अपने व्हाट्सएप पर किसी दोस्त का स्टेटस देखा मुझे लगा वह बहुत गलत है। मैंने समझाया ऐसी चीजें डालने से किसी को ठेस वह मन को निराशा प्राप्त होती है ।एक नेगेटिव मैसेज आता है ।
उसने कहा सब ऐसा नहीं सोचते हर बात के दो पहलू होते हैं।
मैंने कहा यह वीडियो एक भड़काऊ संदेश लोगों तक पहुंच आती है जिसका हर कोई विरोध करेगा चाहे वो किसी भी दल पक्ष विपक्ष या कोई भी हो, हृदय से निर्णय लेने पर यह किसी भी दिशा में गलत है ,वह गलत ही साबित होगा
मैंने सबकी राय जानने को वह वीडियो व्हाट्सएप स्टेटस पर लगाया ,
वे यह प्रश्न करा यह वीडियो आपकी नजर में गलत है या सही इस बात पर अपनी राय दें उस वीडियो में कुछ धर्म के अनुयाई हिंसा वे दुख पहुंचाना बे विपक्षी धर्म के लोगों को मारना काटना की बात कर रहे थे इस पर बहुत लोगों ने मुझे कमेंट करें किस पार्टी में जुड़ गए हो
में मन मे प्रश्न किया कोई सवाल पूछने या अपनी बात रखने या किसी के विचारों को जानने के लिये किसी दल पार्टी समहु का होना
जरूरी है क्या ?
पर में समझता हूं यह एक बेवकूफी वाला प्रश्न था। गलत को गलत वैसे ही सही को सही कहने के लिए किसी दल किसी पार्टी किसी समूह का होना जरूरी नहीं । और कुछ लोगों के मैसेज आए तुम नफरत फेला रहे हो किंतु अधिकतर कमेंट यह वीडियो गलत है, वह मन में गलत भावनाएं उत्पन्न करती है। यही बात सामने आ रही थी ।
इन सब बातों का सारांश निकाल कर देखा जाए तो यह 30 सेकंड की वीडियो सभी की नजरों में गलत थी उसको एडिट करके जिस भाग में हिंसा दिख रही है वही सीन लिया गया था ।
पूरी वीडियो देखने पर वे हजारों वर्ष पुरानी किसी कहानी मैं उस वक्त की बात पर आधारित थी तब हिंसा करना खुद की जान वह उनके धर्म की रक्षा करने के लिए जरूरी था।
जिसकी कटिंग कर लोगों को इस वीडियो के माध्यम से भड़काया जा रहा था।
वह मानव बिना सोचे समझे बिना कुछ जाने आंखें बंद करके किसी पर भी आरोप सिद्ध कर देता है, किंतु जमीनी स्तर पर यह आसमानी ख्याल गलत ही साबित होते हैं इसी वीडियो पर चर्चा हो ही रही थी कि एक और वीडियो सामने आई जिसमें किसी धर्म का व्यक्ति किसी दूसरे धर्म के विरुद्ध एक मंच पर भड़काऊ भाषण दे रहा था वह कुछ लोग बड़े चाव से उसको सुन रहे थे इसको भी मैंने व्हाट्सएप स्टेटस पर डाला इस पर भी लोगों की वही प्रतिक्रिया सामने आई के यह वीडियो गलत है,
इस वीडियो में जो भाषण दे रहा है वह गलत भाषण दे रहा है एकता में फूट डालने की कोशिश कर रहा है।
इस वीडियो को भी जब पूरा देखा गया तब पता चला यह गलत है । किसी बेअकल लड़के ने जो खुद को एक मसखरे के रूप में लोगों को अपनी उपस्थिति य खुद के ऊपर लोगों का ध्यान खींचने के लिए यह उल्टी सीधी बातें कर रहा था ।
जिसको किसी बात का कोई ज्ञान नहीं था ,किंतु पूरी वीडियो देखने पर व्यक्ति विशेष द्वारा बीच में उसका भाषण रोक कर उसको समझाया गया ,यह गलत है।
यह दोनों वीडियो अलग-अलग धर्मों के लोगों की थी और इन वीडियो की प्रतिक्रियाएं की अलग-अलग धर्म के लोगों ने दी । वह एक दूसरे से जलन, क्रोध वह अलग होने की भावना शायद रखते भी हो , लेकिन यहां गलत और सही के फैसले में उन दोनों अलग-अलग धर्मों के लोगों की राय एक थी के यह वीडियो गलत है वह नेगेटिविटी फैला रही हैं ।
उस समय धर्म से बड़ा व्यक्ति को सही या गलत का फैसला लगता है, वह धर्म के आगे की सोच कर कर्म के बारे में सोचते हैं और जो कर्म सही हो उसको सही और जो कर्म गलत हो उसको सभी गलत कहते हैं ।
इसमें कोई दो राय नहीं पांचों उंगलियां माना बराबर नहीं होती ।
किंतु झूठ या सच को पकड़ने के लिए पांच उंगलियों को एक होकर बंद मुट्ठी बनना होता है यह हमारा देश बहुत से धर्म के लोगों में बसा हुआ है बहुत से धर्म के लोग यहां रहते हैं खाते हैं सोते हैं वह देश को अपनी माता मानते हैं।
कुछ लोगों को यह अच्छा नहीं लगता किंतु यह सही मायनों में अनेकता में एकता को दर्शाता है, कोई धर्म कोई भाषा कोई वेशभूषा आपको परिचित नहीं करती आप क्या हो यह आप खुद जानते हो। वह आपकी बात ही लोगों को आपका परिचय देती है।
कि आप अच्छे हो या बुरे आपकी सोच अच्छी दिशा में है या गलत दिशा में ।
बस कुछ लोगों को धर्मों में बांटना व लोगो को अलग-अलग कहना पड़ता है अपना धंधा चलाने को वह समझते हैं अलग-अलग धर्म साइकिल के वो दो अलग-अलग पहिये है, जिनको घिसने से साइकिल आगे बढ़ेगी ,व 5 साल सफेद पोशाक पहन एक जोशीला भड़काऊ भाषण देकर इस साइकिल को चला सकते हैं किंतु उनकी समझदारी नहीं है अपनी मूर्खता है कि हम उनके उपभोग की वस्तु क्यों बन जाए ।
क्या सही क्या गलत यह विचार अपने मन से पूछो ना कि दूसरे के विचारों को ग्रहण करें बिना कुछ सोचे समझे बहुत से लोग अलग-अलग धर्म को दूसरों के धर्म के विरुद्ध भड़का कर उनकी आंखों पर दूसरे धर्म में अपने धर्म से खतरे होने की पट्टी आंखों पर लगाकर और दूसरी चीजें शिक्षा, विकास, देश का आर्थिक विकास ,देश की संरचना ,नौकरी व आदि चीजों पर ध्यान देने से भटकते हैं ।
हमें यह आज निश्चय करना होगा कि हम कौन हैं। हां, माना सबका धर्म अलग है, सब की जाति अलग है, सबके घरों के रिवाज अलग है ,किंतु हमारा झंडा एक है ।
हमारा देश एक है ,हमारे शरीर के अंग एक है ,जो खून ,आंखें, मुंह ,हाथ ,पेर मेरे पास है वही आपके पास भी है बस अंतर मोटे-पतले ,काले-सफेद का हो सकता है किंतु हमारी संरचना का नहीं हमारी आत्मा का नहीं ,हमारे सोच का नहीं, मानवता का नहीं, दया का नहीं, प्रेम का नहीं, एक दूसरे की भावनाओं का नहीं, सम्मान का नहीं ,माता-पिता की इज्जत का नहीं और इस देश की मिट्टी से वफादारी का नहीं ।
हम एक हैं ,यही सोच की ज्योति मन में जगा के रखें कैसे भी अंधेरे हमें बांटने को सफेद पोशाक में सज्जन बनकर आए यह किसी भी रूप में आए हमारी यह ज्योति उसको जलाकर भस्म कर देगी। बस यह ज्योति को मन में प्रेम के तेल से ,विश्वास की बाती से ,जलने दे।
जय हिंद । जय भारत।