3 क्षणिकाएँ….
3 क्षणिकाएँ….
लीन हैं
तुम में
मेरी कुछ
स्वप्निल प्रतिमाएँ
कहीं
खण्डित न हो जाएँ ये
पलकों की
हलचल से
……………….
गहनता में
निस्तब्धता
निस्तब्धता में
अलौकिकता
अलौकिकता में
मौलिकता
स्पंदन जीवित रहे
निस्तब्ध
अलौकिक
मौलिकता के
विलीन होने के बाद भी
…………………………
रात,सनक, मयंक
और
तमन्नायें
चरमोत्कर्ष की
वेदना का पर्याय बनीं
उनके
चले जाने के बाद
सुशील सरना /