2995.*पूर्णिका*
2995.*पूर्णिका*
🌷 जीतता वही जो हार नहीं मानता
212 122 22 2212
जीतता वही जो हार नहीं मानता ।
रोज खुश वही लाचार नहीं मानता ।।
नेक सोच रख के छू लेते आसमां ।
मौज है जिसे संसार नहीं मानता ।।
जागते कहाँ है सोने वाले अक्सर।
नींद में जहाँ बीमार नहीं मानता।।
जिंदगी नहीं खेल तमाशा देखते ।
नेक कदम भी आधार नहीं मानता ।।
महकते चमन देखो यूं खेदू यहाँ ।
फिर क्यों सजन परिवार नहीं मानता ।।
…………✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
10-02-2024शनिवार