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7 Feb 2024 · 1 min read

2989.*पूर्णिका*

2989.*पूर्णिका*
🌷 हम बस खुशी बांटते हैं
2212 2122
हम बस खुशी बांटते हैं ।
पुचकारते डांटते हैं ।।
नासमझ भी समझ जाते।
यूं दिन यहाँ काटते हैं ।।
बनते जहाँ गैर अपने।
सब दूरियां पाटते हैं ।।
दुनिया रहे प्यार की जब ।
कमियां नहीं छांटते हैं ।।
कुछ गलतियां भूल खेदू।।
तलवे न हम चांटते हैं ।।
……..✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
07-02-2024बुधवार

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