2986.*पूर्णिका*
2986.*पूर्णिका*
🌷 कुछ बातें समझ न आती
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कुछ बातें समझ न आती।
सौगातें समझ न आती।।
दिन उजले जीवन अपना।
कुछ रातें समझ न आती ।।
बहुत रिश्तेंदार यहाँ हैं ।
कुछ नातें समझ न आती।।
करते खुद बदलाव जहाँ ।
आयातें समझ न आती ।।
राज बता चलते खेदू।
कुछ घातें समझ न आती ।।
……….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
07-02-2024बुधवार