2981.*पूर्णिका*
2981.*पूर्णिका*
🌷 थोड़ा सा तुम बदलो थोड़ा सा हम
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थोड़ा सा तुम बदलो थोड़ा सा हम ।
जीवन भी तो रहता है नरम गरम ।।
मन के मीत बने सुंदर रीत चले ।
सुर ताल मिले संगीत नया सरगम।।
चुनकर फूलों का हार बनाते हैं ।
सुख दुख में सच साथ निभाते हरदम।।
दिल दरिया में उतरे खुशियां पाते ।
हर घाव मिटे हम बन जाते मरहम।।
भरते बाहों में दुनिया अपनी खेदू।
ये प्यार धड़कनों में बसते हमदम ।।
……….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
05-02-2024सोमवार