2977.*पूर्णिका*
2977.*पूर्णिका*
🌷 यूं मिलती है जहाँ खुशियां
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यूं मिलती है जहाँ खुशियां ।
खुश भी रहते जहाँ खुशियां ।।
संभल पाते नहीं कोई।
देखो देते जहाँ खुशियां ।।
ना रख कमजोर मन इतना।
पग पग चूमे जहाँ खुशियां ।।
घड़ियाली आंसुओं का जग।
बह जाते है जहाँ खुशियां ।।
महके ये जिंदगी खेदू।
बांटे खुद से जहाँ खुशियां ।।
…….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
04-02-2024रविवार