2950.*पूर्णिका*
2950.*पूर्णिका*
🌷 जग से मिटे अंधेरा 🌷
2212 22 2
जग से मिटे अंधेरा ।
हो नव बिहान सबेरा ।।
जीवन जहाँ है जीना।
बस शान रैन बसेरा ।।
भटके नहीं कोई अब ।
दुनिया लगाते फेरा।।
नव राह चलते हरदम।
सच बंधनों का घेरा ।।
बांटे खुशी हम खेदू।
अब हो न तेरा मेरा।।
…………✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
23-01-2024मंगलवार