2945.*पूर्णिका*
2945.*पूर्णिका*
🌷 प्रगति पथ पर बढ़ते देखा 🌷
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प्रगति पथ पर बढ़ते देखा।
नव शिखर पर चढ़ते देखा।।
रौशनी भी रखते यारी।
जिंदगी को गढ़ते देखा।।
साथ अपना हक से देते।
दोष हरदम मढ़ते देखा।।
भूल जाते चलते चलते ।
रोज कुछ कुछ कढ़ते देखा।।
आज तरक्की क्या खेदू।
बस किताबें पढ़ते देखा।।
…………✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
21-01-2024रविवार