2942.*पूर्णिका*
2942.*पूर्णिका*
🌷 अपना तुझे मान लिया 🌷
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अपना तुझे मान लिया।
सच में मुझे जान लिया।।
दिल की यहाँ कौन सुने ।
यूं नैन पहचान लिया ।।
कांटे बने फूल वहाँ ।
सीना जहाँ तान लिया।।
ना छल कपट है मन में ।
लेकर छन्नी छान लिया ।।
करते वही सच खेदू।
जो हम कहे ठान लिया ।।
………..✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
20-01-2024शनिवार