2931.*पूर्णिका*
2931.*पूर्णिका*
🌷 मिलता वही जो हम बोते हैं🌷
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मिलता वही जो हम बोते हैं ।
सच हँसते कोई रोते हैं ।।
जीवन यहाँ है बस संवारे ।
कुछ दुख नहीं सुख सब खोते हैं।।
हीरा चमकते अंधेरे में ।
यूं बैल कोल्हू के जोते हैं ।।
हसरत जहाँ है पूरी होती ।
दिन रात न लगाते गोते हैं ।।
तकदीर बदले अपनी खेदू ।
नाहक न हम बोझा ढ़ोते हैं ।।
………..✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
13-01-2024शनिवार