2904.*पूर्णिका*
2904.*पूर्णिका*
🌷 मौसम की तरह मन बदले
22 212 22 22
मौसम की तरह मन मन बदले।
बस धोये नहाये तन बदले।।
भटके रोज देखो ये दुनिया।
सच धनवान अपना धन बदले ।।
करते पार दरिया कैसे भी ।
नेकी सोच बनकर घन बदले ।।
वक्त के साथ चलते कौन यहाँ ।
डस ले साँप अपना फन बदले ।।
चलते ठान कर खेदू हरदम ।
आकर देख लो जन जन बदले ।।
……….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
05-01-2024शुक्रवार