2897.*पूर्णिका*
2897.*पूर्णिका*
🌷 समझे नहीं अपना हमें
2212 2212
समझे नहीं अपना हमें ।
जाना नहीं अपना हमें ।।
खुशबू तुझे देते रहे ।
माना नहीं अपना हमें ।।
तकलीफ है साझा किया।
रखते नहीं अपना हमें ।।
सच साथ हैं दुनिया कहाँ ।
कहते नहीं अपना हमें ।।
कोशिश करें खेदू यहाँ ।
तू मान ले अपना हमें ।।
……..✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
05-01-2024शुक्रवार