2882.*पूर्णिका*
2882.*पूर्णिका*
🌷 अपना जिसे समझा बेगाने निकले🌷
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अपना जिसे समझा बेगाने निकले।
हम आज बात यही समझाने निकले।।
डूबे हुए कर्ज के तले हर कोई अब।
देखो कहाँ जलते परवाने निकले ।।
शातिर दिमाग लगाते रहते हरदम।
अपना यहाँ सर कौन कटाने निकले।।
बस होशियार मिलेंगे इस दुनिया में ।
जीवन बचा ले रोज बताने निकले ।।
नादान है दिलवाले भी खेदू सच ।
बगियां जहाँ की ये महकाने निकले।।
………✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
02-01-2024मंगलवार