2862.*पूर्णिका*
2862.*पूर्णिका*
🌷 जो हम चाहते वही होता है🌷
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जो हम चाहते वही होता है ।
मंजर ए खुदा वही होता है ।।
मंजिल सफर के मुसाफ़िर चलते।
बढ़ता कारवां वही होता है ।।
शीशों की महल बनाती दुनिया।
देखे आशना वही होता है ।।
नादां हाथ की लकीरों का क्या।
करते मेहनत वही होता है ।।
पत्थरें पिघलते यहाँ तो खेदू।
दिल से दिल चमन वही होता है ।।
………✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
26-12-2023मंगलवार