2837. *पूर्णिका*
2837. पूर्णिका
🌷 मतलबपरस्ती में लोग यहाँ🌷
22 22 22 22
मतलबपरस्ती में लोग यहाँ ।
बस आज मस्ती में लोग यहाँ ।।
बदल नहीं पाया मन अपना।
बसते न बस्ती में लोग यहाँ ।।
मुरझाए फूलों सा जीवन ।
पीछे न हस्ती में लोग यहाँ ।।
बेफिक्र लहरें उठती हरदम।
डूबे न कश्ती में लोग यहाँ ।।
बेहद प्यार करें जब खेदू ।
समझे न नस्ती में लोग यहाँ ।।
………..✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
20-12-2023बुधवार