2820. *पूर्णिका*
2820. पूर्णिका
सच में जीवन संवारा है
22 22 22 22
सच में जीवन संवारा है ।
फूलों सा सबको प्यारा है ।।
सपनों का शहजादा देखो।
जग में वो राजदुलारा है ।।
होती जंग यहाँ सब लड़ते।
जीता हरदम ना हारा है ।।
रोते को भी हँसा जाते।
सबकी आँखों का तारा है ।।
आज बड़े दिलवाला खेदू ।
अंधेरों में उजियारा है ।।
…….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
13-12-2023बुधवार