2815. *पूर्णिका*
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2815. पूर्णिका
पाकर साथ समझदार हो गए
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पाकर साथ समझदार हो गए ।
देख जहान तरफदार हो गए ।।
दंश यहाँ झेले बेगुनाह भी ।
वक्त भी आज वफादार हो गए ।।
सच का दामन छोड़ा नहीं कभी ।
बनके हीर चमकदार हो गए ।।
काम यहाँ ये दुनिया मुरीद भी।
टूटे ना मन दमदार हो गए ।।
कहते खेदू जाने पक्के जुबां ।
बस दिन रात असरदार हो गए ।।
……..✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
12-12-2023मंगलवार