2812. *पूर्णिका*
2812. पूर्णिका
जिंदगी होती ख़ुशनुमा
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जिंदगी होती ख़ुशनुमा ।
मंजिलें होती ख़ुशनुमा ।।
राह पर हरदम हम चले ।
आस भी होती ख़ुशनुमा ।।
दर्द यहाँ मरहम भी बने।
भावना होती ख़ुशनुमा ।।
प्यार की चाहत सब रखे।
हसरतें होती खुशनुमा ।।
हारना खेदू क्या नहीं ।
जीत भी होती खुशनुमा ।।
……….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
11-12-2023सोमवार