2807. *पूर्णिका*
2807. पूर्णिका
मौसम खुला तो मन खिला
2212 2212
मौसम खुला तो मन खिला।
प्यारा यहाँ दामन मिला।।
हम मेहनत करते बहुत।
आहट हुई पाहन हिला।।
दांतों तले यूं ऊँगली ।
देखो जहाँ जीवन जिला।।
मंजिल तलाशें सब यहाँ ।
रखते कहाँ रहजन गिला।।
ढ़हते नहीं खेदू कभी।
मजबूत है साजन किला।।
……✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
09-12-2023शनिवार