2804. *पूर्णिका*
2804. पूर्णिका
कैसे कैसे लोग मिले
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कैसे-कैसे लोग मिले।
छप्पन लगाते भोग मिले।।
हारे जीते कौन भला ।
देखो क्या संजोग मिले।।
दिल है दरिया अपना तो ।
करते सब उपयोग मिले।।
गाते हरदम गीत नए ।
दिन रात बस प्रयोग मिले।।
ईलाज जहाँ अब खेदू।
वायरल यहाँ रोग मिले।।
……✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
08-12-2023शुक्रवार