2784. *पूर्णिका*
2784. पूर्णिका
ले डूबता है अहंकार सबको
2212 212 2212
ले डूबता है अहंकार सबको ।
मिलता कहाँ आज संस्कार सबको ।।
पासा पलट भी गया तो क्या हुआ।
हम खेलते खेल अधिकार सबको ।।
जनता यहाँ जानती सब समझती ।
करते जहाँ न खुश सरकार सबको।।
बस मेहनत से महकती जिंदगी ।
दरिया करें पार पतवार सबको ।।
खुद पर यहाँ यकीन खेदू रखे।
चाहत यही बस मिले प्यार सबको ।।
……….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
03-12-2023रविवार