2783. *पूर्णिका*
2783. पूर्णिका
प्रेम का व्यवहार
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प्रेम का व्यवहार ।
जीवन आधार ।।
महक उठता है ।
प्यारा संसार ।।
मंजिल अरमान ।
खुशियों की हार ।।
मिलती है जीत ।
संकल्प संहार ।।
खेदू रख ज्ञान ।
संघर्ष दमदार ।।
……….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
03-12-2023रविवार