2768. *पूर्णिका*
2768. पूर्णिका
अपना प्यारा सा संविधान है
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अपना प्यारा सा संविधान है ।
भारत देश जहां में महान है ।।
इतिहास बदलते हैं पन्ने पन्ने ।
आज मुरीद यहाँ ये जहान है ।।
मानवता की हरदम अलख जगे।
सुंदर धरती ये आसमान है ।।
देश निराला क्या जाति क्या धरम।
अब तरक्की संभाले कमान है ।।
जीवन का खेदू रंग बदलते।
बस देख पक्की अपनी जुबान है।।
………✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
26-11-2023रविवार