2760. *पूर्णिका*
2760. पूर्णिका
जल कर खाक हो गए
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जल कर खाक हो गए ।
पापी पाक हो गए ।।
महके जिंदगी यहाँ ।
चलते चाक हो गए ।।
अपना तो पता नहीं ।
प्रेषित डाक हो गए ।।
अपनी आरजू मजा
बढ़ते धाक हो गए ।।
खेदू जान छिड़कते।
ऊंचे नाक हो गए ।।
……….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
24-11-2023शुक्रवार