लौ मुहब्बत की जलाना चाहता हूँ..!
*याद रखें वह क्रूर परिस्थिति, जिस कारण पाकिस्तान बना (दो राध
सत्साहित्य सुरुचि उपजाता, दूर भगाता है अज्ञान।
प्यार ऐसा हो माता पिता के जैसा
यादों को दिल से मिटाने लगा है वो आजकल
अब अपना पराया तेरा मेरा नहीं देखता
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
जिस दिन हम ज़मी पर आये ये आसमाँ भी खूब रोया था,
ज़िंदगी को जीना है तो याद रख,
नई बातें
Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी)