2751. *पूर्णिका*
2751. पूर्णिका
आज ही पर जीना सीखो
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आज ही पर जीना सीखो।
जहर भी क्या पीना सीखो।।
बदल जाती है दुनिया भी।
ताज खून पसीना सीखो।।
राह चलते आगे बढ़ते ।
रोज चमक नगीना सीखो।।
मात खाते दुश्मन यहाँ तो ।
तानना तुम सीना सीखो।।
बगियां यहाँ महके खेदू।
बांटना तुम हीना सीखो।।
………..✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
22-11-2023बुधवार