2747. *पूर्णिका*
2747. पूर्णिका
रहते लोग परेशानी में
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रहते लोग परेशानी में ।
देखो ये जीवन पानी में ।।
मान नहीं आज मर्यादा भी ।
सुनते हम रोज कहानी में ।।
सीखे तो कैसे कोई अब ।
दुनिया बेरंग जवानी में ।।
बहती धारा बहते हरदम।
अपनी ही देख रवानी में ।।
अब बात नहीं करते खेदू।
प्यार कहाँ दिलबर जानी में ।।
………✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
21-11-2023मंगलवार