2742. *पूर्णिका*
2742. पूर्णिका
घोड़े बेच कर सोना सोते हैं
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घोड़े बेच कर सोना सोते हैं ।
वक्त का आज जो रोना रोते हैं ।।
मौसम बदल जाते हैं अक्सर यहाँ।
होता किस्मत में होना होते हैं ।।
सच भी देखते सपनीली दुनिया ।
उगते बीज हम बोना बोते हैं ।।
मरहम घाव भर जाते हैंअपने।
रगड़-रगड़ यहाँ धोना धोते हैं ।।
मंतर फूँक देते हरदम खेदू।
अब जादू कहाँ टोना होते हैं ।।
……….✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
21-11-2023मंगलवार