विश्व पुस्तक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।।
ग़ज़ल _ दर्द भूल कर अपने, आप मुस्कुरा देना !
*बोलो चुकता हो सका , माँ के ऋण से कौन (कुंडलिया)*
बाधाएं आती हैं आएं घिरे प्रलय की घोर घटाएं पावों के नीचे अंग
जिस दिल में ईमान नहीं है,
स्नेहों की छाया में रहकर ,नयन छलक ही जाते हैं !
पैसा ,शिक्षा और नौकरी जो देना है दो ,
इस दुनिया में कई तरह के लोग हैं!
అందమైన దీపావళి ఆనందపు దీపావళి
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
जिन स्वप्नों में जीना चाही
खुदा किसी को किसी पर फ़िदा ना करें
कहते हैं रहती नहीं, उम्र ढले पहचान ।
किसी के इश्क में ये जिंदगी बेकार जाएगी।