जीवन के हर चरण में,
Sueta Dutt Chaudhary Fiji
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
*दृष्टि में बस गई, कैकई-मंथरा (हिंदी गजल)*
नफरतों के_ शहर में_ न जाया करो
यूं हज़ार बहाने हैं तुझसे बात करने को ऐ ज़िंदगी!
तुम्हें क्या लाभ होगा, ईर्ष्या करने से
सबकी सुन सुन के, अब में इतना गिर गया ।
बिखर गई INDIA की टीम बारी बारी ,
अपने अंदर करुणा रखो आवेश नहीं मेघ की वर्षा से पुष्प खिलते है
कान भरने वाले सदा से ही आपके इर्द गिर्द ही है
चांद सितारे टांके हमने देश की तस्वीर में।